लखनऊ :उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने रविवार को किसान सम्मेलन के दौरान 25 रुपये प्रति क्विटंल बढ़ाने की घोषणा की है, इसके बावजूद गन्ना किसान इस बढ़ोतरी को सरकारी धोखा बता रहे हैं? उत्तरप्रदेश के सबसे अधिक गन्ना पैदा करने वाले राज्य में साढ़े चार साल में कुल 35 रुपये प्रति क्विटंल का इजाफा योगी सरकार ने किया है, जो आगामी 1 अक्तूबर से शुरू होने वाले पेराई सीजन के लिए की है, इसके बाद राज्य में गन्ने की अगेती प्रजाति के लिए एसएपी 350 रुपये प्रति क्विंटल, सामान्य प्रजाति के लिए 340 रुपये प्रति क्विंटल और अस्वीकृत प्रजाति के लिए एसएपी 335 रुपये प्रति क्विटंल हो गई है। मौजूदा योगी सरकार की इस घोषणा के बाद राज्य के 45 लाख से अधिक गन्ना किसानों की नाराजगी का कम होना संभव नहीं लगता है, क्योंकि पड़ोसी राज्य हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने आगामी सीजन के लिए गन्ने का एसएपी 362 रुपये प्रति क्विटंल घोषित किया है. वहीं, पंजाब की कांग्रेस सरकार ने गन्ने का एसएपी 360 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है. ऐसे में पहले से ही आंदोलन कर रहे गन्ना किसानों की नाराजगी कम कैसे होगी जब वो सूबे में 400 रुपये प्रति क्विटंल से अधिक दाम मांग रहे हैं।
बीजेपी ने किया था घोषणा पत्र में 370 रुपये का वादा।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि गन्ना के एसएपी में केवल 25 रुपये प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी योगी सरकार द्वारा किसानों के साथ किया गया एक क्रूर मजाक है. उन्होंने कहा कि 2017 में बीजेपी खुद अपने घोषणा-पत्र में गन्ने का रेट 370 रुपये प्रति क्विंटल करने का वादा किया था. साढ़े चार साल में बेतहाशा बढ़ी महंगाई का भी हिसाब जोड़ा जाना चाहिए. ऐसे में सूबे में किसानों के गन्ने का रेट सवा चार सौ रुपये क्विंटल से एक रुपये कम भी मंजूर नहीं होगा. हरियाणा और पंजाब से ही कम कीमत योगी सरकार यूपी में गन्ना किसानों को दे रही है। किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुषेंद्र सिंह ने कहा कि योगी सरकार किसानों को लेकर कतई गंभीर नहीं है. साढ़े चार साल बाद 25 रुपये की बढ़ोतरी किसानों के साथ मजाक है. महंगाई दर के लिहाज से देखें तो मौजूदा समय में 380 रुपये क्विटंल गन्ना पड़ रहा है, लेकिन यूपी सरकार ने किसान से इसे 350 रुपये में खरीदने का फैसला किया है. किसान सवा चार सौ की मांग कर रहा है,पड़ोसी राज्य हरियाणा में बीजेपी की ही सरकार है, फिर भी यूपी में वहां से कम गन्ना मूल्य क्यों दे रही है. सरकार के लिए गन्ना किसानों के साथ किया जा रहा व्यवहार महंगा पड़ेगा। गौरतलब है कि देश के गन्ने के कुल रकबे का 51 फीसदी और उत्पादन का 50 और चीनी उत्पादन का 38 फीसदी उत्तर प्रदेश में होता है, भारत में कुल 520 चीनी मिलों से 119 उत्तर प्रदेश में हैं. देश के करीब 48 लाख गन्ना किसानों में से 46 लाख से अधिक किसान चीनी मिलों को अपने गन्ने की आपूर्ति करते हैं,यूपी का चीनी उद्योग करीब 6.50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार देता है।
वरुण गांधी ने कि चार सौ प्रति क्विटंल करने कि मांग।
बीजेपी सांसद वरूण गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गन्ने का एसएपी 400 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की मांग की थी. एक फिर वरुण गांधी ने चिट्ठी में यूपी सरकार का आभार जताते हुए कहा है कि आने वाले सत्र में गन्ने का रेट 350 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, लेकिन इसपर फिर से विचार करके सरकार 50 रुपये अपनी ओर से जोड़कर देना चाहिए. साढ़े चार सालों में महंगाई बढ़ गई है और किसानों की हालत बहुत दयनीय है. ऐसे में सरकार गन्ना किसानों को 400 रुपये प्रति क्विटंल किया जाना चाहिए.
मायावती और अखिलेश राज में कितना बढ़ा था रेट।
यूपी में गन्ना की मूल बढ़ाने के मामले में देखें तो बसपा प्रमुख मायावती सरकार के पांच साल के दौरान इसमें 92 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. साल 2007 में मायावती ने सरकार की कमान संभाली तब गन्ने के मूल्य 125 रुपये प्रति क्विंटल था, जिसे पांच साल में बढ़ाकर 240 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया था, वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव के शासन में गन्ने के मूल्य में 27 फीसदी बढ़ोतरी की गई थी, सपा सरकार ने पांच साल में दो बार में कुल 65 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य बढ़ाया था।
रिपोर्ट संध्या कौशल।