आखिर क्यो मिलता है “मसूरी व धनौल्टी” में सुकून

संवाददाता : जैसा की हम सभी जानते है कि पहाड़ो में हमें वह सुकून मिलता है जो हमें कही भी नहीं मिलता है। मन करता है इन्ही वादियों में हम समा जाए और वक्त भी थम सा जाए, जहां केवल हम हो व हमारे मन के वो मीठे विचार जिससे हमारा मन सदैव प्रसन्न रहे। तो चलिए आज हम आपको बताते है आखिर क्या वजह है जो हर इंसान का मन मसूरी व धनौल्टी की तरफ दौड़ पड़ता है।
जब भी हम पहाड़ो की तरफ अपना रूख करते है। तो चहरे पर ठड़ी-ठड़ी हवाए तथा वो स्माइल लौट सी आती है। और हम कुछ समय के लिए अपनी पुरानी यादें भुल जाते है। बस रूक से जाते है इसी पल में……..
पाठको आपके मन में हमेशा एक सवाल उठा होगा की आखिर पहाड़ों में ऐसा क्या है जो हमे अपनी और आकर्षित करता है। जानते है वह क्या है “सुकून” सीधे और सरल शब्दों में कहे तो वो है “केवल सुकून”। इस समय हम सभी जानते है कि पहाड़ों पर ठंड का मौसम आने लगा है व मैदानी क्षेत्र में सुबह व रात को सुखी ठंड पड़ रही है। पर लगभग 6 माह से लाॅकडाउन के चलते सभी लोग अपने घरो में कैद से हो गए थें। जैसे ही अनलाॅक-5 लगा वैसे ही नियमों में थोड़ी छूट मिली तो सभी अपने घरो से बाहर घूमने निकल आए। जानते है वजह क्या है घर में रोज की “किच-किच” और “बोरियत” पर उनके मन में ये मसूरी और धनौल्टी घूमने का ही आखिर प्लैन क्यो आया क्योकि यहां पर जो असली जीने का मजा है, वह और कही नही है।
मसूरी में घूमने की जगह
लैंडोर
भारत में जब अंग्रेजी हुकूमत हुआ करती थी तो अंग्रेजो का पंसदीद प्लेस मसूरी थी। वह अपना काफी वक्त उत्तराखंड के इस हिल स्टेशन पर गुजारा करते थे। इसी कारण यहां का कल्चर अभी भी अंग्रेजो के जमाने का हैं। मसूरी से 7 किलोमीटर दूर लैंडोर (Landour) छावनी एरिया है। यहां पर अगर आप आते है तो आपकों काफी शांति मिलेगी। लैंडोर (Landour) के बाजार में आप शॉपिंग भी कर सकते हैं। यहां पर कुछ प्वाइंट है जहां से लैंडोर की खूबसूरती को निहारा जा सकता है।
मसूरी लेक
देहरादून डिवेलपमेंट अथॉरिटी के अधीन मसूरी लेक देखने के लिए भा पर्यटकों का जमावड़ा लगता है। मसूरी घूमने आये लोगों मसूरी लेक भी घूमने जा सकते हैं। मसूरी लेक हाल में बना टूरिस्ट अट्रैक्शन है। जब आप देहरादून से मसूरी की तरफ आते हैं तो मसूरी पहुंचने से 6 किलोमीटर पहले ही मसूरी लेक है। आप इसे भी आते वक्त देख सकते हैं। लेक में एंजोय करने के लिए बोटिंग की भी सुविधा हैं। यहां आप आराम से 1 से 2 घंटे बीता सकते हैं।
केंपटी फॉल्स
मसूरी जाओं और केंपटी फॉल्स न देखों ऐसा बिलकुल मत करना। मसूरी के ट्रीप को और यादगार बनाता है वहां का केंपटी फॉल्स। केंपटी फॉल्स करीब 40 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता झरना है तो देखने में काफी खूबसूरत लगता है। झरने के नीचे लोग पानी में नहाते हैं और मस्ती करते हैं। ये मस्ती आप भी कर सकते हैं। यहां आपको हर वक्त ही पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ नजर आएगी। देहरादून के अधिकतर लोग यहां पर वीकेंड पर मस्ती करने आते हैं। इस लिए यहां पर हमेशा भीड़ रहती है।
लाल टिब्बा
मसूरी का एक बहुत ही मशहूर केफे है लाल टिब्बा। यहां पर जाने के लिए आपको एक किलोमीटर का ट्रेक करके जाना होगा। इस ट्रेक के दौरान आप काफी सुंदर नजारे देखेंगे। आपको पता भी नहीं चलेगा की कब लाल टिब्बा आ गया है। लाल टिब्बा पुराने जमाने का केफे है। यहां पर आप इस एरिया के सबसे ऊंचे प्वाइंट पर पहुंच जाएंगे। केफे के टॉप पर बैठ कर आप खाने के लिए कुछ भी ऑर्डर कर सकते हैं और खुले आसमान के नीचे खूबसूरत नजारों के साथ लंच, डीनर स स्नैक का लुफ्त उठा सकते हैं।
माल रोड
मसूरी का माल रोड काफी हेपनिंग प्लेस है। यहां पर काफी भीड़-भाड़ होती है। आप शाम के समय यहां घूम सकते हैं काफी मजा आता है। खाने के लिए काफी अच्छे ऑप्शन भी है। यहां का कॉर्न काफी टेस्टी होता है। कॉर्न का स्टॉल आपकों हर थोड़ी देर की वॉक पर मिल जाएगा।
कैसे जाएं
अगर आप दिल्ली से मसूरी जा रहे हैं तो रास्ता बेहत आसान है। अपनी गाड़ी से आपको मसूरी पहुंचने में 6 से 7 घंटे लगेंगे। अगर आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाते हैं तो कश्मीरी गेट और आनंद बिहार से आपको देहरादून के लिए बस मिल जाएगी। देहरादून के रेलवे स्टेशन के बाहर से आपको मसूरी की बस बदलनी पड़ेगी। मसूरी आ रहे हैं तो सबसे अच्छा है कि आप अपनी गाड़ी या टेक्सी से आये क्योंकि यहां पर अगर आप आकर लोकल साइटसीन के लिए टेक्सी लेते हैं तो आपको एक किलोमीटर के लिए 100 रुपये देने होंगे। 100 रुपये पर किलोमीटर यहां टेक्सी का किराया है।
मोह लेगी ये पहाड़ी नगरी
देखते ही देखते छोटे-छोटे शांत पहाड़ी गावों को पीछे छोड़ते हुए अचानक आ पहुंचते हैं धनौल्टी। यहां के सुंदर, उन्मुक्त वातावरण में मन और शरीर तरोताजा हो जाएगा। समुद्र तल से 7500 फीट की ऊंचाई पर यहां का तापमान गर्मी के मौसम में 21-25 डिग्री के करीब ही होता है, जो सर्दी में एक डिग्री नीचे तक पहुंच जाता है। भीड़भाड़ और धक्का-मुक्की के जीवन से दूर यहां के सरल-सीधे लोग और सुरम्य वातावरण आपको मोह लेगा। यहां के गिने-चुने होटलों में बिल्कुल सड़क से सटा और सुविधाजनक होटल है गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीमवीएन) का धनौल्टी हाइट्स। बड़ा कैंपस, खुला वातावरण, एकदम सड़क के पास, ड्राइवर के लिए सोने का स्थान भी। धनौल्टी हाइट्स बहुत हाई-फाई स्थान नहीं है। धनौल्टी में स्वयं को प्रकृति की गोद में पूरा समर्पित कर दें और यहां के सुहाने मौसम, बादलों में भीग जाने का पूरा आनंद लें। और नहीं, तो बस टैरेस पर कुर्सी खींच कर प्रकृति के निरंतर बदलते मूड्स में खो जाएं। विशेषकर रात के समय टैरेस से आप नीचे सड़क पर रोशनी में जगमगाते मार्केट का अद्भुत नजारा देख सकते हैं, जो बादलों की जादुई लुकाछिपी के बीच कभी धुंधली तो कभी स्पष्ट दिखाई देती है। याद रखिये आप धनौल्टी में हैं – कोई जल्दी नहीं, यहां के नैसर्गिक जीवन का शांत मन से भरपूर आनंद लें।
ईको हट्स
होटल से बाहर आते ही सड़क के दूसरी ओर यहां का एक मुख्य आकर्षण ईको हट्स है। यह सुरुचिपूर्ण रूप से बना है। इसे निरंतर रख-रखाव से संवारा गया है और सौर ऊर्जा से यह प्रकाशित होता है। इसमें बांस से बने कॉटेज हैं, जिनमें सौर ऊर्जा से ही संचारित प्रकाश , टेलीविजन, फोन चार्जर और गरम पानी की सुविधाएं हैं। हर कॉटेज के बाहर बरामदे में बांस की कुर्सियां हैं। सामने सुंदर फूलों की क्यारियां और हरे-भरे लॉन्स में ऊंचे-ऊंचे देवदार के पेड़ हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए स्वादिष्ट चाय, कॉफी, भोजन, नाश्ते के लिए एक छोटी-सी पैंट्री है। बस, लॉन में बैठ जाइए और तुरंत बने गरमा-गरम पकौड़ों और चाय का आनंद लें।
ईको पार्क
होटल धनौल्टी हाइट्स से एकदम सटा हुआ ईको पार्क है। यह करीब पंद्रह एकड़ में फैला हुआ है। यहां पर खेल-कूद व रोमांच के लिए बर्मा ब्रिज, फ्लाइंग फॉक्स आदि जैसे आकर्षण के साथ खुले स्थान, लंबे घुमावदार रास्ते, दोनों ओर सुंदर फूलों से सजी क्यारियों के साथ और मेडिटेशन स्पॉट्स भी हैं। क्या बच्चे, क्या युवा और क्या वयोवृद्ध। सबके लिए यहां आना एक यादगार अनुभव रहेगा। फोटोग्राफी के शौकीन के लिए यहां विशेषकर बहुत कुछ है। 200 मीटर की दूरी पर एक और ईको पार्क है, इसका भी आनंद आप ले सकते हैं।