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Uniform Civil Code In Discussions : एक बार फिर से चर्चाओं में यूनिफॉर्म सिविल कोड, धामी सरकार ने इस विषय पर मुहर लगा दी

Uniform Civil Code In Discussions : देहरादून: उत्तराखंड में धामी सरकार ने पहली ही कैबिनेट बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड के विषय पर मुहर लगा दी है. आने वाले दिनों में इस मामले पर विचार के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा. धामी सरकार के इस कदम से एक बार फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बहस तेज हो गई है. यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ आइये आपको बतातें हैं.

Uniform Civil Code In Discussions : पुष्कर धामी ने किया था वादा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव प्रचार-प्रसार के दौरान आचार संहिता से ठीक पहले प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था. इसी के तहत पहली ही कैबिनेट में इस मामले में समिति का गठन करने का फैसला कर लिया गया है. कैबिनेट के सदस्यों ने रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में इसके लिए एक कमेटी गठित करने पर मुहर लगाई है.

 

Uniform Civil Code In Discussions : क्या राज्य सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का है अधिकार

समान नागरिक संहिता पर जब भी बहस हुई है तो इस मामले में कानूनी पेचीदगियों का हमेशा जिक्र हुआ है. कानून के कुछ जानकार राज्य सरकारों के पास इस मामले में इसे लागू करने का अधिकार नहीं होने की बात कहते रहे हैं. हालांकि, अधिकतर जानकार राज्य सरकारों के पास भी अधिकार होने की बात बताते हैं. दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का जिक्र है. इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी कहते हैं कि शादी, तलाक और उत्तराधिकार और संपत्ति अधिकारों जैसे मामले संविधान की संयुक्त सूची में आते हैं, इसलिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार भी इससे जुड़े कानून बनाने का अधिकार रखती हैं.

Uniform Civil Code In Discussions : राजनीति हुई तेज

इस मामले में पुष्कर सिंह धामी ने जो कदम उठाया है उससे उन्होंने अपने उस वादे को पूरा करने की कोशिश की है, जो उन्होंने चुनाव से ठीक पहले किया था. उन्होंने इस फैसले के जरिए एक खास राजनीतिक संदेश देने की भी कोशिश की है. हालांकि, इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है. कांग्रेस की तरफ से प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा प्रदेश सरकार को आज बेरोजगारों की चिंता करनी चाहिए लेकिन हमारी सरकार जिन्हें लोगों ने चुना है. उन्होंने बेरोजगारी को मुद्दा चुनने के बजाए समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे को प्राथमिकता देने का फैसला किया है.

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