Site icon Uttarakhand News, News in Hindi

देहरादून के जिला अस्पतालों का हाल – बेहाल , गर्भावस्था में भी महिलाओं को काटने पड़ रहे अस्पतालों के चक्कर

Dehradun - The condition of the district hospitals of the capital Dehradun is bad. Instead of getting timely treatment to the patients in the district hospitals here, they are being made to visit the hospitals. Talking about Doon Hospital in the capital, the situation is similar here. Instead of getting treatment here too, patients are being harassed again and again by making rounds of hospitals. The woman had to struggle hard to be admitted to the hospital Recently, Alaknanda, a pregnant resident of Chandramani, reached Doon Women's Hospital at around 6:00 am to be admitted to the emergency room. It is worth noting that the doctor staff here told the woman about the hospitalization of corona patients. At the same time, when the woman's husband Sanjay Prakash called one of his acquaintances, the hospital administration agreed to admit the woman. After this hard work, the woman and her family were sent to Gandhi Hospital showing fear of corona epidemic. When the woman and her family reached Gandhi Hospital, they had to wait for one and a half hours, after which the pregnant woman was admitted to the hospital after in-charge Dr. Praveen Panwar intervened in the matter. There is no facility from the hospital, patients go home by auto or Vikram It is a bit strange to hear but it is true that there is no facility in the district hospitals of Dehradun to take the patients home. Therefore, patients have to go home by auto or Vikram by themselves. It is worth noting that even after the delivery of the pregnant woman, no facility is provided to her to go home from the hospital. The train of happiness is also closed for a long time, due to lack of any facility from the hospital, the patient is also upset. is. Health Minister is continuously inspecting district hospitals, but no change is visible All this is happening when the Health Minister is constantly seen doing surprise inspections of the district hospitals. Despite all this, the condition of the district hospitals is something like this. Despite surprise inspections, pregnant women have to make frequent rounds of district hospitals, while they are not provided any facilities even after being discharged from the hospital. Big promises are made by the government regarding health systems, but these promises have not been implemented yet. Only a few pictures of Doon Hospitals tell that how much patients have to struggle here to get timely and proper treatment, but on the other hand, the health department of the state seems to be continuously counting its achievements. The thing to be seen now will be this. That the achievements are being counted by the Health Department, when will the achievements reach a common man and when will a common man be able to get proper and timely treatment in district hospitals? More about this source textSource text required for additional translation information Send feedback Side panels

देहरादून – राजधानी देहरादून के जिला अस्पतालों का हाल बेहाल है । यहां के जिला अस्पतालों में मरीजों को समय से इलाज मिलने की बजाय उन्हें अस्पतालों के चक्कर कटवाए जा रहे हैं । राजधानी के दून अस्पताल की बात की जाएं तो यहां भी हाल कुछ ऐसा ही है । यहां भी इलाज करने की बजाय मरीजों को बार-बार अस्पतालों के चक्कर कटवा कर परेशान किया जा रहा है।

महिला को अस्पताल में भर्ती होने के लिए करनी पड़ी कड़ी मशक्कत

हाल ही में चंद्रमणि की रहने वाली  गर्भवती अलकनंदा सुबह करीब 6:00 बजे दून महिला अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती होने के लिए पहुंची थी ।  गौर करने वाली बात यह है कि यहां डॉक्टर स्टाफ ने महिला को कोरोना मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की बात कही । वहीं जब महिला के पति संजय प्रकाश ने अपने एक परिचित कर्मचारी को फोन किया तो अस्पताल प्रशासन  महिला को भर्ती करने के लिए तैयार हुआ  ।इस कड़ी मशक्कत के बाद महिला और उसके परिजनों को कोरोना महामारी का डर दिखाकर गांधी अस्पताल भेज दिया गया । जब महिला और उसके परिजन गांधी अस्पताल पहुंचे तो उन्हें डेढ़ घंटे का लंबा इंतजार करना पड़ा इसके बाद प्रभारी डॉ. प्रवीण पंवार के इस मामले में दखल देने के बाद गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया ।

अस्पताल की ओर से नहीं है कोई सूविधा ऑटो या विक्रम से घर जाते हैं मरी

सुनने में बात थोड़ी अजीब है लेकिन यह सत्य है कि देहरादून के जिला अस्पतालों में मरीजों को घर पहुंचाने के लिए कोई भी सुविधा नहीं है । लिहाजा मरीजों को खुद से ऑटो या विक्रम कर घर जाना पड़ता है । ध्यान देने वाली बात यह है कि गर्भवती महिला की डिलीवरी के बाद भी उसे अस्पताल से घर जाने के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती ।खुशियों की सवारी गाड़ी भी लंबे समय से बंद है अस्पताल की ओर से कोई सुविधा ना मिलने से मरीज भी परेशान है।

स्वास्थ्य मंत्री लगातार कर रहे जिला अस्पतालों का निरीक्षण, लेकिन नहीं दिख रहा कोई बदलाव

यह सब तब हो रहा है जब स्वास्थ्य मंत्री लगातार जिला अस्पतालों का औचक निरीक्षण करते नजर आते हैं  ।इन सब के बावजूद जिला अस्पतालों के हाल कुछ ऐसे हैं  । औचक निरीक्षण के बावजूद गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पतालों के लगातार चक्कर काटने पड़ते हैं तो वहीं अस्पताल से छुट्टी मिलने पर भी उन्हें कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है । सरकार की तरफ से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन इन वादों को अभी तक धरातल पर नहीं उतारा गया है ।

दून अस्पतालों की चंद तस्वीरें ही यह बयां करती है की यहां पर मरीजों को समय और सही से इलाज पाने के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती है लेकिन दूसरी ओर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग लगातार अपनी उपलब्धियां गिनाता नजर आता है ।वहीं अब देखने वाली बात यह होगी कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा गिनाई जा रही है उपलब्धियां कब एक आम आदमी तक पहुंचेंगी और कब एक आम आदमी को जिला अस्पतालों में सही और समय से इलाज मिल पाएगा ?

Exit mobile version