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प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने रेखा आर्य से मांगा इस्तीफा, अनियमितता का लगाया आरोप

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संवाददाता(देहरादून) : जिला पंचायत संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल उठाते हुए महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य के स्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। भट्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री के बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान के ड्रीम योजनाओं में शामिल प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, महिला शक्ति केंद्र, राष्ट्रीय पोषण मिशन योजना के साथ ही महिलाओं के शोषण के खिलाफ लड़ने वाले वन स्टॉप सेंटर के संचालन के लिए प्रदेश सरकार ने आउटसोर्सिंग एजेंसी टीडीएस के माध्यम से लगभग 350 कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई थी।

उन्होंने कहा कि टीडीएस एजेंसी की ओर से पिछले 8 माह से कर्मियों को वेतन नहीं दिया गया और न ही कर्मचारियों का पीएफ जमा किया गया। साथ ही कर्मचारियों के वेतन से जीएसटी काटे जाने को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। जिला पंचायत संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि महिला शशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में केंद्रीय योजनाओं के संचालन के लिए मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए आउट सोर्सिंग एजेंसी के चयन में भारी अनियमितताएं बरती गई हैं। पहले टीडीएस कम्पनी और बाद में लखनऊ की ए-स्क्वेयर कम्पनी को वर्क आर्डर जारी करने में धांधली हुई है।

उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की मंत्री का अपने अधीनस्थ निदेशक के अपहरण और गुमसुदगी की शिकायत पुलिस को देना और एक आईएएस अधिकारी का अपने विभागीय मंत्री को सूचना दिए बगैर छुट्टी पे जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि महिला शक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के निदेशक पर मंत्री के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने पर कार्यवाही होनी चाहिए। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य को अपने विभाग में हो रही अनियमितताओं की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से तत्काल स्तीफा दे देना चाहिए।

भट्ट ने राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। उनसे मांग की है कि महिला शशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में संचालित हो रही केंद्रीय योजनाओं में मानव संसाधन उपलब्ध कराने का काम उपनल, पीआरडी या राज्य की ही किसी अनुभवी आउटसोर्सिंग एजेंसी को देने की मांग की है। उनको वर्क आर्डर देने से पूर्व ये शर्त रखी जाए कि जो कर्मचारि उक्त योजनाओं में काम कर रहे थे, उन्ही लोगों को फिर से नियुक्ति दी जाए। वे लोग एक साल से कार्य कर रहे हैं।

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