दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दखल से पहले काफी पहले ही 12वीं बोर्ड परीक्षा को रद्द करने पर विचार करना चाहिए था। बोर्ड परीक्षा मूल्यांकन नियम पर भी उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने जो बोर्ड को सुझाव दिए थे। उसे बोर्ड ने ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट में पेश किया। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद ने सीबीएसई बोर्ड 2021 के लिए मूल्यांकन फॉर्मूला जारी करते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया है। इस फॉर्मूला के तहत 10वीं , 11वीं और 12वीं कक्षा में विद्यार्थियों द्वारा किए गए प्रदर्शन के आधार पर उनका 12वीं बोर्ड का परिणाम तैयार किया जाएगा।मनीष सिसोदिया ने कहा कि 12वीं के 1.5 करोड़ छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बोर्ड परीक्षा रद्द करने का निर्णय स्वागत योग्य था। 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा में छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने बोर्ड को जो सुझाव दिए थे, उन्हें सीबीएसई बोर्ड द्वारा ध्यान में रखा गया और लागू किया गया तथा सर्वोच्च न्यायालय को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि केंद्र को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप का इंतजार करने के बजाय बहुत पहले बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने पर विचार करना चाहिए था।
2021-22 सत्र में मूल्यांकन के लिए मानदंड अपनाने की आवश्यकता पर सिसोदिया ने कहा कि कोरोना के विपरीत परिस्थितियों में भी सरकार ने इस वर्ष की बोर्ड परीक्षाओं के लिए एक विस्तृत मूल्यांकन मानदंड बनाया है। हमें अभी से 2021-22 सत्र में बोर्ड की कक्षाओं के लिए भी एक मानदंड विकसित करने पर विचार करने की जरूरत है। ताकि इस साल जो अफरातफरी हुई उससे बचा जा सके। अगर स्कूलों को आंशिक रूप से खोलना है तो मूल्यांकन और प्रोजेक्ट के संचालन के तौर-तरीके के साथ ही हमें ऑनलाइन परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एक योजना विकसित करना शुरू कर देना चाहिए।