
ज्योति यादव,डोईवाला। 14 अक्टूबर से पितृ पक्ष का समापन होते ही नगर के शारदीय नवरात्रों को लेकर बाजार सज गए हैं माता की चुनरी श्रृंगार और पूजन की सामग्री खरीदने के लिए भक्तों की भीड़ भी उमड़ने लगी है भक्तों में इस बार खासा उत्साह है।
मंदिरों में विशेष तैयारी की गई है रंग-बिरंगे लाइटों से मंदिर सजाए गए हैं रविवार सुबह को उदय तिथि में शारदीय नवरात्र शुरू होंगे, पहले दिन घर में कलश स्थापना के साथ ही सर्वप्रथम मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी इसके बाद लगातार 9 दिन तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपो की पूजा की जाएगी,डोईवाला के व्यापारियों को भी इस बार अच्छे कारोबार की उम्मीद है नगर के बाजारों में ग्राहक भारतीय सामान की मांग कर रहे हैं व्यापार की दृष्टि से यह अच्छे संकेत है।
शारदीय नवरात्रि पर्व पर फलित ज्योतिषाचार्य देवेंद्र प्रकाश भट्ट से बताया घटस्थापना मुहूर्त, माता के आगमन और प्रस्थान की सवारी और उनका महत्व।
शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए 46 मिनट का ही मुहूर्त,
एक वर्ष में दो बार छह माह की अवधि के अंतराल पर नवरात्रि आती हैं. मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. प्रत्येक वर्ष आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है.
पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है।
फलित ज्योतिषाचार्य देवेंद्र प्रकाश भट्ट ने बताया कि हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है। जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है। शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। नवरात्रि की शुरुआत रविवार 15 अक्टूबर 2023 से होगी। 23 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि समाप्त होगी। वहीं 24 अक्टूबर विजयादशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
शारदीय नवरात्रि 2023 कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
फलित ज्योतिषाचार्य देवेंद्र प्रकाश भट्ट
ने बताया कि पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11:44 मिनट से दोपहर 12:30 तक है. ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 46 मिनट ही रहेगा।
घटस्थापना तिथि: रविवार 15 अक्टूबर 2023
घटस्थापना मुहूर्त: प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08:47 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:44 मिनट से दोपहर 12:30 मिनट तक (अभिजित मुहूर्त में देवी की स्थापना सबसे शुभ मानी जाती है)
नवरात्रि के 9 दिन का महत्व
फलित ज्योतिषाचार्य देवेंद्र प्रकाश भट्ट
ने बताया कि अश्विन माह में पड़ने वाली शारदीय नवरात्रि का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें मां दुर्गा की प्रतिमाएं विराजित की जाती है. साथ ही कई स्थानों पर गरबा और रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है. इस 9 दिन के महापर्व के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा भी की जाती है. अखंड ज्योति जलाई जाती है. हर स्वरूप की अलग महिमा होती है. आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं. यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है. नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत भी रखा जाता है.पूरे नियमों के साथ मां दुर्गा की आराधना की जाती है.
नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन की सवारी है शुभ
ज्योतिषाचार्य ने देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं. जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं. माता का अलग-अलग वाहनों से आना भविष्य के लिए संकेत भी होता है जिससे पता चलता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा. इस साल माता का वाहन हाथी होगा क्योंकि नवरात्रि का आरंभ रविवार से हो रहा है. इस विषय में देवी भागवत पुराण में इस प्रकार लिखा गया है कि रविवार और सोमवार को नवरात्रि आरंभ होने पर माता हाथी पर चढकर आती हैं जिससे खूब अच्छी वर्षा होती है. खेती अच्छी होगी। देश में अन्न धन का भंडार बढ़ेगा.
मां दुर्गा के वाहन और उनका महत्व
फलित ज्योतिषाचार्य देवेंद्र प्रकाश भट्ट ने बताया कि यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है, लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं, यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं. माता दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं. नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है. ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है.
देवीभाग्वत पुराण में जिक्र किया गया है कि शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता. इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है.
अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी.
शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं.
गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं.
बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं.
देश पर पड़ेगा यह असर
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि में जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो ये बेहद शुभ माना जाता है. हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा अपने साथ ढेर सारी खुशियां और सुख-समृद्धि लेकर आती हैं. मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है. इससे देश में आर्थिक समृद्धि आयेगी। साथ ही ज्ञान की वृद्धि होगी। हाथी को शुभ का प्रतीक माना गया है. ऐसे में आने वाला यह साल बहुत ही शुभ कार्य होगा, लोगों के बिगड़े काम बनेंगे. माता रानी की पूजा अर्चना करने वाले भक्तों पर विशेष कृपा बरसेगी.
शारदीय नवरात्रि 2023 तिथियां (Shardiya Navratri 2023 Tithi)
15 अक्टूबर 2023 – मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
16 अक्टूबर 2023 – मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि
17 अक्टूबर 2023 – मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
18 अक्टूबर 2023 – मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि
19 अक्टूबर 2023 – मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
20 अक्टूबर 2023 – मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
21 अक्टूबर 2023 – मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
22 अक्टूबर 2023 – मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी
23 अक्टूबर 2023 – महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
24 अक्टूबर 2023 – मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)