आरटीआइ से मिली जानकारी में सामने आई जनता के पैसे की बर्बादी की हकीकत
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में सरकारी बंगले को सजाने के नाम पर पूर्व मुख्यमंत्रियों ने साल दर साल जमकर सरकारी खजाना लुटाया। वर्ष 2010 से वर्ष 2018 के बीच तीन मुख्यमंत्री रहे उमर अब्दुल्ला, मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ्ती ने इसके नाम पर लाखों रुपये खर्च किए।
सुप्रीम कोर्ट व दिल्ली हाई कोर्ट के अधिवक्ता शशांक देव सुधि को आरटीआइ के तहत उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2010 से 2018 के बीच नवीनीकरण पर पूर्व मुख्यमंत्रियों ने 1.22 करोड़ रुपये खर्च किए।
हालांकि, पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद-370 हटाने के बाद से अब तक कोई खर्च नहीं हुआ है। अधिवक्ता सुधि ने सितंबर 2020 में आरटीआइ के माध्यम से मुख्यमंत्रियों के सरकारी-कार्यालय आवास के नवीनीकरण में बीते दस में हर साल हुए खर्च का ब्यौरा मांगा था। इसके जवाब में जन सूचना अधिकारी संपदा विभाग के उप निदेशक वसीम राजा ने यह जानकारी दी। सुधि के मुताबिक आरटीआइ से मिली जानकारी हैरान करने वाली है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भारत सरकार के लाखों रुपये बर्बाद किए और साथ में देश के खिलाफ बयानबाजी करते रहे।
उन्होंने कहा कि यह तो सिर्फ आवास पर खर्च का ब्योरा है। सुरक्षा समेत अन्य मद में हुए खर्च की जानकारी नहीं दी गई है। आखिर हर साल सरकारी आवास में नवीनीकरण के नाम पर आम जनता की गाढ़ी कमाई को कैसे बर्बाद किया जा रहा है।
अब आरटीआइ से बाहर आने लगी है सूचनाएं
पांच अगस्त 2019 से पहले तक जम्मू-कश्मीर में सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कानून प्रभावी नहीं था। जिसके कारण वहां से जुड़ी कोई भी जानकारी बाहर नहीं आती थी, लेकिन अगस्त 2019 में धारा-370 हटने के बाद से अब वहां पर आरटीआइ कानून प्रभावी है और इसके माध्यम से अब जम्मू-कश्मीर से जुड़ी जानकारी बाहर आने लगी है।
वर्ष खर्च की गई धनराशि (लाख रुपये में)
2010-11 12.00
2011-12 13.00
2012-13 15.50
2013-14 18.70
2014-15 15.20
2015-16 14.50
2016-17 15.00
2017-18 17.00
2018- 4 अगस्त 2019 2.00
(नोट- पांच अगस्त 2019 के बाद कुछ भी खर्च नहीं हुआ।)
कब किसका रहा कार्यकाल वर्ष मुख्यमंत्री
जनवरी 2009 से 2015 उमर अब्दुला आठ जनवरी 2015 से एक मार्च 2015
– राज्यपाल शासन मार्च 2015 से जनवरी 2016
– मुफ्ती मोहम्मद सईद सात जनवरी 2016 से चार अप्रैल 2016
– राज्यपाल शासन अप्रैल 2016 से जून 2019 – महबूबा मुफ्ती