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सलमान खुर्शीद और राशिद अल्वी के बहाने गर्माई उत्तराखंड की राजनीति

Politics of Uttarakhand heats up on the pretext of Salman Khurshid and Rashid Alvi

देहरादून: पहले सलमान खुर्शीद और फिर राशिद अल्वी के हिंदुत्व को लेकर बयानों ने उत्तराखंड में भी राजनीति को गर्मा दिया है। साफ्ट हिंदुत्व के बल पर परिस्थितियों को अपने पक्ष में मोड़ने में ताकत झोंक रहे प्रदेश के कांग्रेसी क्षत्रप इन बयानों से खुद को असहज पा रहे हैं। खुर्शीद के पक्ष में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी खड़े हो चुके हैं। इसके बावजूद प्रदेश संगठन से लेकर दिग्गज नेता दूरी बनाए रखना चाहते हैं। यही नहीं, हिंदुत्व पर गर्माए माहौल के बीच ही पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के साथ बदरीनाथ धाम में दर्शन कर रुख साफ कर दिया है।

हिंदुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर आरोप-प्रत्यारोप ने उत्तराखंड में संगठन की दुविधा बढ़ा दी है। देवभूमि पर इससे पड़ने वाले प्रभाव को आंककर स्थानीय दिग्गज नेता और प्रदेश कांग्रेस कमेटी किसी भी रूप में विवादों को हवा देने के पक्ष में नहीं है। प्रदेश में कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तो खुलकर खुर्शीद के रुख से असहमति जता चुके हैं। हाल ही में खुर्शीद ने अपनी पुस्तक में देश में हिंदुत्व को लेकर तीखी टिप्पणी की थी। इसके तुरंत बाद ही पूर्व मख्यमंत्री हरीश रावत ने खुर्शीद की राय से पल्ला झाड़ने में देर नहीं लगाई।

खुर्शीद के समर्थन में राहुल गांधी के आने के बावजूद प्रदेश में संगठन और पार्टी के बड़े नेताओं ने चुप्पी ओढ़ना बेहतर समझा है। इसके तुरंत बाद रावत भाजपा छोड़कर कांग्रेस में वापसी कर चुके पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के साथ बदरीनाथ धाम पहुंचे। वहां दोनों नेताओं ने जिस तरह उत्साह दिखाया, उसे साफ्ट हिंदुत्व के लक्ष्य को आगे करने की प्रमुख विपक्षी दल की रणनीति सामने आ गई। उत्तराखंड में पार्टी को केंद्रीय नेतृत्व से ज्यादा भरोसा स्थानीय दिग्गजों पर है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी ऐसे मामलों में टिप्पणी को लेकर खासी सावधानी बरत रहे हैं।

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