संवाददाता( देहरादून) : घटना के खुलासे के लिये डीआईजी ने एसपी सिटी दून श्ववेता चौबे के नेतृत्व में टीमों का गठन किया। पुलिस ने मौका गंवाए बिना देर रात से ही सीसीटीवी कैमरे जांचने शुरु कर दिये थे। देर रात एसपी सिटी स्वयं इस आपरेशन को लीड करने लगी थी।यदि कहा जाए कि दून पुलिस से कोई बदमाश नही बच सकता तो शायद अतिश्योकित आपको लगे। लेकिन मौजूदा समय में राजधानी में जिस स्तर के अपराध घटे और पुलिस ने उसे उतने ही शार्प व प्रोफेशनल तरीके से वर्क आउट किया उसकी जितनी सराहना की जाए कम ही होगी। 19 अक्टूबर को दून अस्पताल के पास हुई लूट को महज टिफिन लूट मानना गलती होगी। जीवा जैसे नामी बदमाशों के शार्प शूटर घटना में शामिल थे।
ऐसे मिली लीड सीसीटीवी फुटेज के अवलोकन के दौरान क्रासरोड पर स्थित सीसीटीवी कैमरे में बाइक सवार एक अभियुक्त का स्पष्ट हुलिया दिखाई दिया। उक्त हुलिये का मिलान पूर्व में इस प्रकार की घटनाओं में लिप्त रहे पूर्व अपराधियों व वर्तमान में पैरोल पर छूटे अपराधियो से किया गया तथा उक्त हुलिए से मिलते जुलते व्यक्ति के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने हेतु मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया गया। जिस पर पुलिस टीम को जरिये मुखबिर जानकारी प्राप्त हुई कि सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहे अभियुक्त का हुलिया मुजाहिद उर्फ खान नाम के अभियुक्त से मिलता जुलता है, जो संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा गैंग का शार्प शूटर है वर्तमान में जमानत पर जेल से बाहर आया हुआ है और देहरादून में डालनवाला क्षेत्र में रह रहा है। सीसीटीवी फुटेजो के अवलोकन में भी उक्त अभियुक्तों के डालनवाला क्षेत्र में जाने की ही फुटेज प्राप्त हुई, उसके आगे की फुटेज चैक करने पर पुलिस को अभियुक्तों के सम्बन्ध में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई। जिस पर अभियुक्त मुजाहिद उर्फ खान के उक्त घटना में संलिप्त होने की सम्भावना के दृष्टिगत पुलिस टीम द्वारा अभियुक्त के सम्बन्ध में मैनुअली जानकारी प्राप्त की गयी तो ज्ञात हुआ कि दून चौक के पास हुई लूट की घटना अभियुक्त मुजाहिद द्वारा अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर की गयी थी तथा उक्त घटना में कोई लाभ न होने के कारण अभियुक्त मुजाहिद अपने उन्हीं साथियों के साथ सम्भवतः किसी बडी घटना को अंजाम देने की फिराक में है। जिस पर पुलिस टीम द्वारा मुखबिर की सूचना के आधार पर अभियुक्त मुजाहिद उर्फ खान को उसके दो अन्य साथियों कलीम अहमद तथा तरूण तिवारी के साथ पंत रोड से गिरफ्तार किया गया। अभियुक्तों की तलाशी लेने पर मुजाहिद के पास से एक देसी पिस्टल व जिंदा कारतूस तथा अभियुक्त कलीम व तरूण तिवारी के पास से एक-एक अदद खुखरी बरामद हुई। अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस टीम द्वारा घटना में लूटा हुआ सामान बरामद किया गया।
नाम/पता गिरफ्तार अभियुक्त:-*
01मुजाहिद उर्फ साहिल उर्फ मनोज उर्फ पप्पू उर्फ खान पुत्र स्व0 मुख्तार अहमद निवासी: पंचपुरी, एमडीडीए कालोनी, डालनवाला, उम्र 24 वर्ष
02 कलीम अहमद उर्फ बिल्लू पुत्र शहीद अहमद निवासी: शान्ति विहार रायपुर, मूल निवासी: सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
03: तरूण तिवारी पुत्र स्व0 भगवती प्रसाद निवासी: सरस्वती विहार नेहरू कालोनी मूल निवासी: लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश।
पूछताछ से खुलासा संजीव जीवा गैंग कनेक्शन
पूछताछ में अभियुक्त मुजाहिद उर्फ खान द्वारा बताया गया कि मैं पूर्व में हरिद्वार बाईपास रोड पर रेता बजरी सप्लायर का काम करता था। मैने संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा के बारे में काफी कुछ सुना था तथा वर्ष 2013 में मैं उससे मिलने बाराबंकी गया । जीवा से मुलाकात होने पर मैने उसके साथ काम करने की इच्छा जाहिर की तो उसने मुझे अपनी गैंग में शामिल कर लिया, वर्ष 2015 में जीवा के कहने पर मैने गैंग के एक अन्य साथी अजय सिंह उर्फ बबलू के साथ मिलकर लखनऊ में एक छात्र नेता पिन्टू की हत्या की थी। जिसमें मुझे और अजय को लखनऊ पुलिस द्वारा जेल भेजा गया था, जेल में 07 महीने रहने के बाद जीवा द्वारा मेरी जमानत कराई गयी थी। इसके पश्चात वर्ष 2017 में जीवा ने मुझे हरिद्वार में एक व्यक्ति सुभाष सैनी की हत्या की सुपारी दी तथा इसके लिये विक्की ठाकुर नाम के एक व्यक्ति को भेजा, जो मुझे सुभाष सैनी से मिलवाने वाला था। उस समय विक्की ठाकुर की निशानदेही पर मैने गलती से सुभाष सैनी के स्थान पर गोल्डी नाम के एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसमें हरिद्वार पुलिस द्वारा मुझे जेल भेजा गया था। वर्ष 2019 में जीवा द्वारा ही मेरी उक्त मामले में जमानत कराई गयी थी। किसी भी घटना को करने के बाद पकडे जाने पर जीवा द्वारा ही हमारी जमानत का सारा इंतेजाम किया जाता था तथा बाहर आने पर हमें घटना के एवज में पैसा दिया करता था। पिछले करीब एक साल से जीवा लखनऊ में उसके द्वारा की गयी एक नेता की हत्या के आरोप में लखनऊ जेल में बंद है, जिस कारण जमानत पर छूटने के बाद से मेरा उससे किसी प्रकार से सम्पर्क नही हो पाया है तथा पैसे न मिलने के कारण मैं काफी आर्थिक तंगी से गुजर रहा हूं। वर्ष 2019 में जमानत पर बाहर आने के बाद दून अस्पताल में मेरी मुलाकात कलीम अहमद से हुई, जो दून अस्पताल के बाहर प्राइवेट एम्बुलेंस चलाने का कार्य करता था तथा वर्तमान में कोरोना संक्रमण के कारण कोरोनेशन अस्पताल से प्राइवेट एम्बुलेंस चला रहा है। मुलाकात के बाद से ही हम अक्सर साथ बैठकर शराब पीते थे, जिस कारण हमारी अच्छी जान पहचान हो गयी थी। कुछ समय पूर्व मेरे द्वारा उसे अपनी आर्थिक तंगी के सम्बन्ध में बताया गया तो उसके द्वारा मुझे जानकारी दी कि दून चैक के पास एम0एस0मेडीकोज नाम की एक दवाई की दुकान है, जिसका मालिक अपने वाहन को दून अस्पताल की पार्किंग में खडा करता है तथा रात्रि में दुकान बन्द करने के बाद दिन भर की सारी कमाई को एक बैग में रखकर पैदल दून अस्पताल की पार्किंग तक आता है। यदि पार्किंग से पहले दून चैक के आस-पास उसका बैग लूट लिया जाये तो हमे काफी पैसे मिल सकते हैं। चूंकि मेरी आर्थिक स्थिती ठीक नहीं थी इसलिये मैं उक्त घटना को करने के लिये तैयार हो गया। मेरे द्वारा अपने एक अन्य साथी तरूण तिवारी को भी अपनी इस योजना में शामिल कर लिया गया, तरूण तिवारी मजदूरी का कार्य करता है, जिससे मेरी मुलाकात वर्ष 2012 में रेता बजरी की सप्लाई के दौरान हुई थी। योजना के मुताबिक दिनांक: 19-10-2020 की रात्रि हम तीनो दून चैक के पास खडे होकर दुकान स्वामी के आने का इन्तेजार करने लगे, जैसे ही उक्त दुकान का मालिक दून चैक के पास पहुचा, मैं मोटर साइकिल से उतरकर उसके पास गया तथा मैने उसे तमंचा दिखाते हुए उसके हाथ से बैग छीन लिया। बैग छीनने के बाद हम सीधे शान्तिविहार रायपुर स्थित कलीम के कमरे में गये, वहां जाकर जब हमने बैग खोला तो उसमे हमें एक खाली टिफिन मिला। उक्त टिफिन को कलीम के कमरे पर छोडकर बैग हमने एमडीडीए कालोनी के पास स्थित नाले में फेंक दिया। उसके पश्चात हम दोनो अपने-अपने घर वापस चले गये। आज भी हम इसी तरह की एक घटना को करने की फिराक में पंत रोड पर घूम रहे थे, तभी पुलिस टीम द्वारा हमें गिरफ्तार कर लिया गया।