नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश में किसान कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। संबोधन के दौरान उन्होंने कृषि कानून पर जारी विरोध को खत्म करने की अपील की और MSP, मंडियांं व स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अपना पक्ष रखा। साथ ही उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों से हाथ जोड़कर विनती की कि वे किसानों को गुमराह न करें। बता दें कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में किसानों का आंदोलन जारी है।
प्रधानमंत्री ने कृृृृृषि कानूनों व किसानों के लिए कहीं ये अहम बातें-
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘किसानों को सिर्फ मंडियों से बांधकर बीते दशकों में जो पाप किया गया है, ये कृषि सुधार कानून उसका प्रायश्चित कर रहे हैं।’ उन्हेांने कहा, ‘नए कानूनों के अनुसार, अगर अचानक मुनाफा बढ़ जाता है, तो उस बढ़े हुए मुनाफे में भी किसान की हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई है।’
– प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सरकार ने अनेकों बार पूछा है कि विरोधी दलों को कानून के किस खंड या बिंदु में परेशानी है। इसका कोई ठोस जवाब नहीं मिला है और यही उनकी सच्चाई है।’ उन्होंने कहा, ‘नए कानून में हमने सिर्फ इतना कहा है कि किसान चाहे मंडी में बेचे या फिर बाहर, ये उसकी मर्जी होगी। अब जहां किसान को लाभ मिलेगा, वहां वो अपनी उपज बेचेगा।’
– प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारी सरकार ने न सिर्फ MSP में वृद्धि की, बल्कि ज्यादा मात्रा में किसानों से उनकी अपज को MSP पर खरीदा है। इसका सबसे बड़ा लाभ ये हुआ है कि किसानों के खाते में पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा पैसा पहुंचा है।’
– स्वामीनाथन कमेटी का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं विश्वास से कहता हूं कि हमने हाल में जो कृषि सुधार किए हैं, उसमें अविश्वास व झूठ की जगह नहीं है। हमारी सरकार ने ही स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू किया और यदि MSP हटानी होती तो कमेटी की रिपोर्ट लागू ही क्यों करते?
– प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि सुधारों का श्रेय लेने से इनकार करने की बात करते हुए विपक्षी दलों से कहा कि वे किसानों को ‘बरगलाना’ छोड़ दें। किसान आंदोलन पर वार करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर निशाना साधा जा रहा है।
– प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘तेजी से बदलते हुए वैश्विक परिदृष्य में भारत का किसान, सुविधाओं के अभाव में, आधुनिक तौर तरीकों के अभाव में असहाय होता जाए, ये स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती। पहले ही बहुत देर हो चुकी है। जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वो आज करने की नौबत आई है।’
– प्रधानमंत्री मोदी ने कहा किसानों व कृषि कानून का पक्ष लिया और कहा कि महामारी कोविड-19 से संघर्ष के बीच यह काम पहले की तरह ही किया गया और कानून बनने के बाद MSP की घोषणा भी की गई।
– प्रधानमंत्री मोदी ने आरोप लगाते हुए कहा,’ मुझे लगता है कि उनको पीड़ा इस बात से नहीं है कि कृषि कानूनों में सुधार क्यों हुआ। उनको तकलीफ इस बात से है कि जो काम हम कहते थे लेकिन कर नहीं पाते थे, वो मोदी ने कैसे व क्यों किया।’