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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों के लिए बहुमंजिला फ्लैट्स का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया। ये फ्लैट्स नई दिल्ली में डॉक्टर बीडी मार्ग पर बनाए गए हैं। इस मौके पर पीएम मोदी ने जनप्रतिनिधियों को नए आवास के लिए शुभकामनाएं दी हैं। पीएम ने कहा, ’कई इमारतों का निर्माण इस सरकार के दौरान शुरू हुआ और तय समय से पहले समाप्त भी हुआ। अटल बिहारी के समय जिस अंबेडकर नेशनल मेमोरियल की चर्चा शुरू हुई थी, उसका निर्माण इसी सरकार में हुआ। हमारी सरकार में बरसों से अटकी योजनाएं पूरी हुई हैं।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इन फ्लैट्स में हर वो सुविधा दी गई है, जो सांसदों को काम करने में आसानी होगी। दिल्ली में सांसदों के लिए भवनों के लिए दिक्कत काफी वक्त से रही है, सांसदों को होटल में रहना होता है जिसके कारण आर्थिक बोझ आता था। पीएम ने कहा कि दशकों से चली आ रही समस्याओं को टालने से नहीं उन्हें पूरा करने से ही खत्म होंगी। पीएम ने कहा कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला सदन के अंदर समय की बचत करवाते हैं और बाहर फ्लैट बनवाने में भी उन्होंने धन की बचत की। इन फ्लैट्स के निर्माण में पर्यावरण का ध्यान रखा गया है। कोरोना काल में भी सुचारू रूप से सदन की कार्यवाही चली और ऐतिहासिक तरीके से काम हुआ।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, बीडी मार्ग पर गंगा यमुना सरस्वती के नाम से तीन टावर बनाए गए हैं, जिनमें कुल 76 फ्लैट हैं। इन फ्लैट्स के निर्माण के लिए 80 साल से अधिक पुराने 8 बंगलों का पुनर्विकास किया गया है। इसकी लागत 213 करोड़ रुपये है। कोविड-19 के प्रभाव के बावजूद 14 फीसदी की बचत के साथ इन फ्लैटों का निर्माण पूरा हो चुका है।
सांसदों का ये फ्लैट 4 बीएचके है। फ्लैट में सांसदों के लिए अलग से उनका एक ऑफिस भी बनाया गया है। फ्लैट में दो बालकनी, चार वॉशरूम और एक अलग से पूजा घर बनाया गया है। मॉड्यूलर किचन भी बनाया गया है। इसके अलावा दो स्टाफ के लिए अलग से स्टाफ क्वार्टर भी बनाए गए हैं।
इस प्रोजेक्ट में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित तमाम नए तकनकीकी का इस्तेमाल किया गया है। इसमें फ्लाई ऐश (पॉवर प्लांट की राख) और कंस्ट्रंक्शन साइट में डिमोलेशन से प्राप्त कचरे से बनाई गई ईंटें, एनर्जी एफिसिएंसी को बढ़ाने के लिए होने वाले थर्मल इंसुलेंशन से संबंधित डबल ग्लेज्ड विंडो, बिजली की खपत कम करने के लिए एलईडी लाइट फिटिंग्स, लाइट कंट्रोल के लिए एक्यूपेंसी आधारित सेंसर, कम बिजली से चलने वाले वीआरवी सिस्टम आधारित एयर कंडीशनल, पानी की बचत करने वाली कम बहाव वाली टोटियां, वर्षा जल संचयन और छत पर सोलर प्लांट जैसे उपकरण लगाए गए हैं।