संवाददाता(पिथौड़ागढ) :उत्तराखंड की सड़कों पर सफर करिए लेकिन जरा संभलकर। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में 1000 से ज्यादा ब्लैक स्पॉट और हादसों के मद्देनजर संवेदनशील प्वाइंट हैं। बीते कुछ समय में सुरक्षा के इंतजाम बढ़ाए तो गए हैं पर इनकी रफ्तार बेहद धीमी है।
इस संबंध में सड़क सुरक्षा परिषद की ताजा रिपोर्ट में चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। साथ ही पैदल चलने वाले लोग भी बहुत सुरक्षित नहीं हैं। वर्ष 2019 में हुए 1352 हादसों में 867 लोगों की मौत हुई। इनमें पैदल चल रहे 206 लोग मारे गए और 249 घायल हुए।
संवेदनशील प्वाइंटों की मरम्मत में देरी
हादसों के लिहाज से राज्य में 139 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए हैं। इन पर वर्ष 2017 से काम चल रहा है और अब तक 71 पर ही काम पूरा हो पाया है। 68 अब भी अधर में लटके हैं। दुर्घटना के प्रति संभावित प्वाइंट की संख्या 1929 है। इनमें सबसे ज्यादा 517 अल्मोड़ा, 269 पौड़ी और 235 टिहरी में हैं। इनमें केवल 976 की ही मरम्मत और सुरक्षा इंतजाम किए गए बाकी पर काम जारी है या डीपीआर ही बन रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ा मौत का ग्राफ
परिवहन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में शहर के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में सड़क हादसों और मौत का ग्राफ बढ़ रहा है। वर्ष 2019 में हुए विभिन्न 1352 सड़क हादसों में 754 देहात में हुए। वहीं इन हादसों में हुई 867 मौतों में 60 फीसदी से ज्यादा यानि 563 ग्रामीण इलाकों में ही हुईं। इस साल जून तक की रिपेार्ट में भी आंकड़े इसी से मिलती जुलती तस्वीर दिखा रहे हैं।
जांच में देरी से पीड़ितों को इंसाफ नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में 170 सड़क हादसों को लेकर मजिस्ट्रियल जांच बिठाई गई थी। इनमें केवल 54 मामलों की ही जांच पूरी हो पाई। 99 की जांच अब तक जारी है। वर्ष 2020 की रिपोर्ट परिवहन विभाग अभी तैयार कर रहा है। इनमें सबसे ज्यादा 39 मामले हरिद्वार, 27 यूएसनगर और 24 टिहरी के हैं।