कोरोना संक्रमण के घटते मामलों के बीच अब दिल्ली में ब्लैक फंगस (म्यूकरमायकोसिस) के मरीज बढ़ने लगे हैं। हैरानी की बात यह है कि इस बार यह बीमारी युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार ब्लैक फंगस ज्यादा घातक साबित हो रहा है। संक्रमण से ठीक होने के कुछ समय बाद ही लोग इससे पीड़ित हो रहे हैं। इनमें युवाओं की एक बड़ी संख्या है। दिल्ली के अस्पतालों में ब्लैक फंगस से पीड़ित करीब 45 मरीज भर्ती हैं। इनमें 30 मरीज सर गंगा राम अस्पताल में 10 एम्स में और पांच मरीज अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। यह इतनी गंभीर बीमारी है कि इसमें सीधे मरीज को आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि अब ऐसे कई मरीज सामने आ रहे हैं जिन्हें ‘काले फंगस’ का संक्रमण हुआ है। यह कोरोना वायरस से ठीक हो रहे या ठीक हो चुके मरीजों को अपनी चपेट में ले रहा है।
सर गंगाराम अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर ए.के ग्रोवर ने बताया कि अस्पताल में इस समय ब्लैक फंगस से पीड़ित करीब 30 मरीज भर्ती हैं। इनमें युवाओं की एक बड़ी संख्या है। उन्होंने कहा कि पिछले साल तक इस बीमारी से वह लोग ज्यादा पीड़ित हो रहे थे, जिनकी उम्र अधिक थी, लेकिन इस बार 30 से 50 साल तक की उम्र के लोग पीड़ित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार यह रोग पहले के मुकाबले काफी घातक हो चुका है और संक्रमण से स्वस्थ होने के कुछ समय बाद ही लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है।इस बीमारी में मरीज की आंख की रोशनी जाने और जबड़े और नाक की हड्डी गलने का खतरा रहता है। एम्स के ईएनटी विभाग के एक डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में इस समय 10 मरीज भर्ती हैं। जिनमें ब्लैक फंगस के लक्षण हैं। इनमें से आधे मरीज 30 से 40 साल के बीच के हैं।