दिल्ली। मनी लॉन्डरिंग के आरोप का सामना कर रही आईसीआईसी बैंक की पूर्व कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर पर कोई ठोस का कार्रवाई नहीं की जाएगी। मामले की जांच कर रही संस्था प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ को आश्वासन दिया कि चंदा कोचर के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाएगी।
चंदा कोचर ने अपने पति दीपक कोचर की हिरासत को अवैध ठहराते हुए याचिका दाखिल की थी, जिसपर कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। दीपक कोचर भी इस मामले में मनी लॉन्डरिंग के आरोप झेल रहे हैं। चंदा कोचर के लिए मामले में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पेश हुए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दीपक कोचर की नियमित जमानत याचिका सोमवार को ट्रायल कोर्ट में सूचीबद्ध की गई है। यहां मामले के लंबित रहने का ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट अगले शुक्रवार को मामले की सुनवाई करेगा। दरअसल, मुकुल रोहतगी ने कहा था कि उनकी सुप्रीम कोर्ट में लंबित जमानत याचिका पर सुनवाई ट्रायल कोर्ट में उनकी दूसरी जमानत याचिका पर फर्क पड़ सकता है।
बता दें कि ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत पिछले साल चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत पर आपराधिक मामला दर्ज किया था। मामले में आईसीआईसी बैंक की ओर से 1,875 करोड़ जारी करने में कथित रूप से अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। ईडी आईसीआईसी बैंक की ओर दो अन्य कंपनियों को दिए गए लोन के मामलों की भी जांच कर रहा है। चंदा कोचर के कार्यकाल में बैंक ने गुजरात की फार्मा कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक और भूषण स्टील ग्रुप को लोन दिए थे, जिनकी मनी लॉन्डरिंग के आरोपों तहत जांच हो रही है।