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Negligence In Health Check : पूर्व सीएम के स्वास्थ्य की जांच में हुई लापरवाही, कार्रवाई के बाद हरदा भी हुए हैरान

Negligence In Health Check

Negligence In Health Check

Negligence In Health Check : दून अस्पताल पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्वास्थ्य की जांच मोबाइल फोन की रोशनी में डॉक्टरों को करनी पड़ी। अस्पताल की बिजली गुल होने से मरीजों के साथ ही डॉक्टर और अन्य स्टाफ भी परेशान हुए। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अक्सर बिजली गुल होने पर जनरेटर के समय पर स्टार्ट नहीं होने की शिकायत रहती है। बृहस्पतिवार को पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत को भी इस अव्यवस्था से दो चार होना पड़ा।

Negligence In Health Check : हरीश रावत अपने स्वास्थ्य की जांच कराने के लिए दून अस्पताल पहुंचे

हरीश रावत अपने स्वास्थ्य की जांच कराने के लिए दून अस्पताल पहुंचे थे। जहां अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केसी पंत और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमर उपाध्याय ने हरीश रावत का चेकअप किया। चेकअप के बाद उनकी जरूरी जांचें कराई गईं। उनका स्वास्थ्य चेकअप किया ही जा रहा था तभी अस्पताल की बिजली गुल हो गई।

Negligence In Health Check : करीब 10 मिनट बाद भी जनरेटर स्टार्ट नहीं हो पाया

बिजली गुल होने के करीब 10 मिनट बाद भी जनरेटर स्टार्ट नहीं हो पाया, जिसके चलते मोबाइल की रोशनी में पूर्व सीएम का चेकअप किया गया। उनके स्वास्थ्य की जांच के बाद बिजली आपूर्ति बहाल हो पाई। इसे लेकर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केसी पंत ने मातहतों को व्यवस्था सुधारने के लिए निर्देशित भी किया।

Negligence In Health Check : छोटी सी बात पर डॉक्टर के तबादले से आश्चर्यचकित हूं : हरीश रावत

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि छोटी सी बात पर डॉक्टर से विवाद और उसके बाद तबादले के आदेश से वह आश्चर्यचकित हैं। डॉक्टर का पेशा बेहद संवेदनशील होता है। हमें उनका सम्मान करना चाहिए। डॉक्टर से विवाद और फिर छोटी सी बात पर तबादला करना ठीक नहीं है। इससे जनता में अच्छा संदेश नहीं गया है।

Negligence In Health Check : समाधान निकाला जाना चाहिए था

उन्होंने कहा कि इसका समाधान निकाला जाना चाहिए था। पहले तो डॉक्टर को किस प्रोटोकॉल के तहत सचिव की पत्नी का स्वास्थ्य जांचने के लिए उनके घर भेजा गया। रावत ने कहा कि वह खुद मुख्यमंत्री रहते भी डॉक्टरों को कम से कम बुलाते थे। यही नहीं कई बार वह खुद स्वास्थ्य जांच कराने मुख्यमंत्री रहते हुए भी अस्पताल पहुंचते थे। उन्होंने शुक्रवार को अस्पताल पहुंचकर खुद भी यह संदेश देने की कोशिश की कि बिना प्रोटोकॉल के सरकारी डॉक्टर को स्वास्थ्य जांचने के लिए घर पर बुलाना ठीक नहीं। वहीं वीआईपी कल्चर को लेकर भी हरीश रावत ने अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर रोक लगनी चाहिए।

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