Maintaining Himalayan Identity : डोईवाला- स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) की प्रयोजित संस्था हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) स्वास्थ्य व शिक्षा की संगम स्थली के रुप में पहचान कायम कर चुका है। इसी कड़ी में एसआरएचयू ऊर्जा संरक्षण में भी योगदान कर राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन महामारी के पूर्व के स्तर तक पहुंचने के करीब है। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जॉलीग्रांट के कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि इसका प्रमुख कारण है बड़े संस्थानों में बिजली की खपत में बेइंतहा वृद्धि। बिजली की खपत को कम करने के लिए सौर ऊर्जा सबसे बेहतरीन विकल्प है। सूर्य हमेशा से ऊर्जा का सबसे भरोसेमंद स्रोत रहा है।
Maintaining Himalayan Identity : साल 2007 में बढ़ाया पहला कदम
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि सौर ऊर्जा के महत्व को हम समझते हैं। इसके लिए संस्थान में विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है। भविष्य की जरूरत को समझते हुए ऊर्जा संरक्षण की ओर हमने साल 2007 में पहला कदम बढ़ाया था। तब हिमालयन हॉस्पिटल, कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट सहित सभी हॉस्टल में सोलर वाटर हीटर पैनल लगाए गए थे।
Maintaining Himalayan Identity : साल 2017 में लगाया पहला 500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि साल 2017 में राष्ट्रीय सौर मिशन से जुड़ने का फैसला किया। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में योगदान की व्यापक योजना बनाई। साल 2017 में हिमालयी राज्यों में रूफ टॉप सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सरकार की ओर से प्रदान की जा रही 70 फीसदी सब्सिडी को देखते हुए सोलर पैनल लगाने का फैसला लिया। नर्सिंग और मेडिकल कॉलेज में 500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल लगाए।
Maintaining Himalayan Identity : 68,51,600 किलोवॉट (यूनिट) बिजली की बचत
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि 2017 से अब तक विश्वविद्यालय कैंपस स्थित विभिन्न भवनों की छतों में 1500 किलोवॉट का सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। इससे अब तक एसआरएचयू 68,51,660 यूनिट बिजली की बचत कर चुका है।
Maintaining Himalayan Identity : 40 फीसदी बिजली की जरूरत सौर ऊर्जा से कर रहे पूरा
इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग प्रभारी गिरीश उनियाल ने बताया कि संस्थान में ऊर्जा मांग के अनुसार 3500 किलोवॉट का बिजली संयंत्र लगाया गया है। अब करीब 1500 किलोवॉट रुफ टॉप सोलर पैनल की मदद से संस्थान बिजली की 40 फीसदी मांग सौर ऊर्जा से पूरा कर रहा है।
Maintaining Himalayan Identity : सोलर पैनल को अपनाने की अपील
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण के लिए सभी नागरिकों से सजग भूमिका निभानी होगी। आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग से आम जनजीवन को बड़ा खतरा होने वाला है। इसलिए अभी से प्राकृतिक ऊर्जा पर निर्भर रहने की आदत डालनी होगी। प्रकृति के संरक्षण के लिए ऊर्जा का संरक्षण जरूरी है।
सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से पहाड़ों में पहुंचाया पानी।
Maintaining Himalayan Identity : करीब 1455 टन कार्बन उत्सर्जन की कमी
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के खतरे दिखने लगे हैं। इसका बड़ा कारण है कार्बन उत्सर्जन। एसआरएचूय में 1500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल की मदद से 1455 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। उत्तराखंड के किसी भी संस्थान की तुलना में यह एक रिकॉर्ड है।
रिपोर्ट : ज्योति यादव