ऊखीमठ। विकासखंड ऊखीमठ की सीमान्त ग्राम पंचायत गौण्डार से लगभग 10 किमी दूर हिमालय श्रृंखला के मध्य विराजमान भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विराजमान हो गयी है। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पुण्य के भागी बने। सोमवार से भगवान मदमहेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी।
रविवार को मदमहेश्वर घाटी के गिरीया गाँव में प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग ने ब्रह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत भगवान मदमहेश्वर सहित तैतीस कोटि देवी-देवताओं का आवाहन किया तथा आरती उतारी। उसके बाद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह मूर्तियों के निर्वाण दर्शन कर विश्व कल्याण की कामना की। ठीक नौ बजे भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर के लिए रवाना हुए तथा फाफज, सलामी यात्रा पड़ावों पर ग्रामीणों ने अनेक प्रकार की पूज्यार्थ सामाग्रियो से अर्ध्य लगाकर मनौती मांगी। 12 बजे भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली मंगोलचारी पहुंचीं तो रावल भीमाशंकर लिंग के प्रतिनिधि केदार लिंग सैकड़ों श्रद्धालुओं, मराठा रेजिमेंट व स्थानीय वाध्य यंत्रों की मधुर धुनों से डोली की अगुवाई की गयी। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के मंगोलचारी पहुंचने पर सम्पूर्ण भूभाग बाबा मदमहेश्वर के जयकारो से गुजायमान हो उठा। पौराणिक परम्पराओं के अनुसार मंगोली के ग्रामीणों ने भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को सामूहिक अर्ध्य अर्पित किया व केदार लिंग ने डोली पर सोने का छत्र चढा़ कर क्षेत्र के खुशहाली की कामना की। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के ब्राह्मणखोली आगमन पर ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा कर डोली का भव्य स्वागत किया। कस्तोरा नामक स्थान पर डोली की विशेष पूजा . अर्चना की गयी तथा डगवाडी गाँव आगमन पर ग्रामीणों ने भी अर्ध्य अर्पित किया। दोपहर 2,30 पर भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर पहुंचने पर वहाँ पूर्व से मौजूद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर डोली का भव्य स्वागत किया।
भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल पर विराजमान हुई। उसके बाद रावल भीमाशंकर लिंग के प्रतिनिधि केदार लिंग ने मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग का छह माह तीर्थ में रहने का संकल्प तोड़ा। इस मौके पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भटट्, क्षेत्र पंचायत प्रमुख श्वेता पांण्डेय, जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा, नगर पंचायत अध्यक्ष विजय राणाए पूर्व प्रधान पुजारी राजशेखर लिंगए शिवशंकर लिंग, बागेश्वर लिंग, आचार्य हर्ष जमलोकी, खुशहाल सिंह नेगी लवीश राणा, राजन सेमवाल रणजीत रावत, अनसोया प्रसाद भटट्, मदन सिंह पंवार, भगत सिंह पंवार, बीर सिंह पंवार, पूर्व प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद भटट्, नागेन्द्र राणा, राजीव भटट्, हर्षवर्धन बेजवाल, सुरेन्द्र दत्त नौटियाल प्रदीप धर्मवाण, कृष्णा नन्द नौटियाल, संगीता नेगी, मुख्य विकास अधिकारी भरत चन्द भटट् देव स्थानम बोर्ड अधिकारी वी डी सिंह एन पी जमलोकी, राजकुमार नौटियाल, यदुवीर पुष्वाण, प्रकाश रावत, श्याम सिंह बिष्ट, थानाध्यक्ष जाहगीर अली सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं जनप्रतिनिधि व मराठा रेजिमेंट की बैण्ड पार्टी मौजूद थे। बूढा मदमहेश्वर के पुष्पक विमान ने श्रद्धालुओं को दिये दर्शन भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर परम्परा के अनुसार भगवान बूढा़ मदमहेश्वर के पुष्पक विमान ने श्रद्धालुओं को दर्शन दिये। वर्ष भर में वैशाखी पर्व व भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन सहित सिर्फ़ दो दिन ही बूढा़ मदमहेश्वर दर्शन होने की परम्परा है। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ज्यो ही शीतकालीन गद्दी स्थल में विराजमान हुई तो डोली से उत्सव मूर्तियों को बूढा़ मदमहेश्वर के पुष्पक विमान में विराजमान कर केदार लिंग ने विशेष पूजा-अर्चना की तथा पुष्पक विमान ने ओकारेश्वर मन्दिर की पांच परिक्रमा कर अपने तप स्थान पर विराजमान हुए। मावेन्द्र शैव ने बताया कि बूढा़ मदमहेश्वर की मान्यता भी प्राचीन है। भव्य रूप से सजाया गया था ओकारेश्वर मन्दिर भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर देव स्थानम बोर्ड द्वारा ओकारेश्वर मन्दिर को अनेक प्रकार के पुष्पों से सजाया गया था। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर देव स्थानम बोर्ड के अधिकारियोंए कर्मचारियों व ग्रामीणों में भारी उत्साह देखा गया।