
ज्योती यादव डोईवाला। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। इसे छोटी होली के नाम से भी जानते हैं। होलिका दहन के ठीक अगले दिन रंग वाली होली मनाई जाती है। इस साल होलिका दहन 13 मार्च 2025 को किया जाएगा और रंग का त्योहार 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। होलिका दहन पर भद्रा का साया होने के कारण शुभ मुहूर्त को लेकर लोगों के बीच असमंजस की स्थिति है। जानें फलित ज्योतिषाचार्य देवेंद्र प्रकाश रानी पोखरी निवासी ने बताया होलिका दहन व पूजन का शुभ मुहूर्त।
13 मार्च को होलिका दहन क्यों है उत्तम: ज्योतिषाचार्य पंडित देवेंद्र प्रकाश ने बताया कि पंचांग के अनुसार , 13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से 14 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक पूर्णिमा तिथि व्याप्त रहेगी। 13 मार्च को दिन-रात पूर्णिमा तिथि होने के कारण होलिका दहन इस दिन ही किया जाएगा। इस साल 13 मार्च 2025 होलिका दहन वाले दिन सुबह 10 बजकर 35 मिनट से रात 11 बजकर 29 मिनट तक भद्रा रहेगी।
होली पूजन का शुभ मुहूर्त- होली पूजन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर प्रारंभ होगा, क्योंकि इस समय से ही पूर्णिमा तिथि शुरू होगी। 13 मार्च 2025 को दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से दोपहर 03 बजे तक राहुकाल रहेगा, इस अवधि में होली पूजन से बचना चाहिए। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में राहुकाल को अशुभ समय माना गया है। इसलिए होली पूजन डेढ़ बजे से पहले कर लें या फिर 03 बजे के बाद करें।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त- हिंदू धर्म में होलिका दहन प्रदोष काल में अत्यंत शुभ माना गया है। लेकिन 13 मार्च 2025 को रात 11 बजकर 29 बजे तक भद्रा व्याप्त रहेगी। भद्राकाल में होलिका दहन वर्जित है। इसलिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात 11 बजकर 29 मिनट पर भद्रा समाप्त होने के साथ ही शुरु होगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त मध्य रात्रि 11 बजकर 30 मिनट से रात 01 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।
फलितज्योतिषाचार्य देवेंद्र प्रकाश जी रानीपोखरी निवासी ने बताया कि होलिका दहन पर भद्रा का समय: इस साल भद्रा का असर 13 मार्च की सुबह 10:35 बजे से रात 11:26 बजे तक रहेगा। चूंकि भद्रा के समय होलिका दहन शुभ नहीं माना जाता, इसलिए दहन का सही समय भद्रा समाप्त होने के बाद ही होगा, यानी रात 11:26 बजे के बाद।
होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, जिसे कई जगहों पर छोटी होली भी कहा जाता है। इस दिन एक पेड़ की टहनी को जमीन में स्थापित किया जाता है और उसके चारों ओर लकड़ियां, कंडे और उपले रखे जाते हैं। शुभ मुहूर्त में इस संरचना में अग्नि प्रज्ज्वलित की जाती है।
होलिका दहन के दौरान गोबर के उपले, गेहूं की नई बालियां और उबटन अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इस अग्नि में समर्पित चीजें नकारात्मक शक्तियों को दूर करती हैं और व्यक्ति को पूरे वर्ष स्वस्थ रखने में मदद करती हैं।
इसके बाद, लोग होलिका की राख को घर लाकर तिलक लगाते हैं। यह परंपरा बुरी शक्तियों से बचाव और शुभता लाने के लिए मानी जाती है।