करवा चौथ के व्रत इस बार 4 नवंबर यानि बुधवार को पड़ रहा है। करवा चौथ की सारी तैयारी एक-दो दिन पहले ही की जाती है। इस लिए आज ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख लें। करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। यह व्रत केवल सजने संवरने का ही पर्व नहीं है, बल्कि करवा माता में पूरी तरह से आस्था रखकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने का यह त्यौहार है। इसीलिए इस दिन दोपहर में करवा माता की पूजा करने के बाद रात को चंद्र देव के दर्शन किया जाता है। हर व्रत की तरह इसके भी कुछ नियम व कानून हैं। जिनका पालन करना जरूरी होता है। आइए जानते है पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत नियम, करवा चौथ व्रत की सामग्री लिस्ट के साथ व्रत से जुड़ा पूरी जानकारी जाने……
गणेश पूजा से होती है व्रत की शुरुआतः- इस दिन महिलाएं दोपहर में या शाम को कथा सुनने का काम करतीं हैं। कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रखा जाता है। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखा जाता है।
पूरे दिन महिलाएं निर्जला रहतीं हैंः-करवाचौथ व्रत में पूरे दिन महिलाएं निर्जला रहतीं हैं। व्रत में पूरा श्रृंगार किया जाता है।
करवा चौथ की पूजन सामग्रीः-कल करवा चौथ का व्रत सुहागिनें रखेंगी। इसके लिए आज ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें। पूजन सामग्री इस प्रकार है। मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे।
सरगी में आपको इन चीजों को करना चाहिए शामिलः-सरगी में आप सेवई या खीर खा सकती हैं। यह दूध की बनती है और दूध में प्रोटीन होता है। दिनभर आपके शरीर में प्रोटीन बनाए रखने के लिए करवाचौथ की शुरुआत सेवई खाकर जरूर करें।
सरगी में क्या होनी चाहिए शामिलः-सरगी में मिठाइयां, मठरी, सेवइयां या फिरनी, सूखे मेवे, नारियल, पूरी या परांठे, कढ़ी और एक गिलास जूस या नारियल का पानी शामिल करना चाहिए। फल बहुत जल्दी पच जाते हैं लेकिन कम समय में जरूरी पोषण और ऊर्जा के लिए ये जरूरी हैं। रोटी के साथ हरी सब्जी और सलाद जरूर लें, यह भी दिन भर ऊर्जा देने के साथ ही पोषण की आपूर्ति करेगा।
सजाएं पूजा की थालीः-चंद्रमा के दर्शन के लिए थाली सजाएं। थाली मैं अक्षत, कुमकुम, दीपक, सिन्दूर, रोली तथा चावल की बनी मिठाई या सफेद मिठाई रखें। संपूर्ण श्रृंगार करें और करवे में जल भर लें। इसके बाद मां गौरी और गणेश की पूजा करें। चंद्रमा के निकलने पर छलनी से या जल में चंद्रमा को देखें। अर्घ्य दें, करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। उसके बाद अपने पति की लंबी आयु की कामना करें। अपनी सास या किसी वयोवृद्ध महिला को श्रृंगार का सामान दें तथा उनसे आशीर्वाद लें।
क्या होती है सरगीः-कुछ परंपरा इस पर्व का जरूरी हिस्सा होती हैं। इनमें सरगी भी एक है। सरगी भोजन की एक थाली को कहा जाता है जो की सास अपनी बहू को देती है। बहू सरगी को प्रसाद समझ ग्रहण करने के बाद ही करवा चौथ का व्रत रखती है। यदि घर में सास नहीं है तो जेठानी या बड़ी ननद या कोई भी बुजुर्ग महिला इसे देती है। सरगी खाने का खास मकसद है कि पूरा दिन व्रत के दौरान बॉडी में एनर्जी बनी रहे।
करवा चौथ के नियमः-केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया है, वहीं महिलाएं ये व्रत रख सकती हैं। यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जल रखा जाता है। व्रत रखने वाली कोई भी महिला काला या सफेद वस्त्र नहीं पहनती हैं। लाल वस्त्र सबसे अच्छा है। पीला भी पहना जा सकता है। इस दिन पूर्ण श्रृंगार और पूर्ण भोजन जरूर करना चाहिए।
चंद्रमा की पूजा का है महत्वः-धार्मिक मान्यता है कि चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। चंद्रमा की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखी होती है और पति की आयु लंबी होती है।
सूर्योदय से पहले खा ले सरगीः-मान्यता है कि सूर्योदय से पहले सरगी खा लेनी चाहिए। यह सरगी सास बहू को देती है। सरगी खाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करना शुभ होता है।
शुभ मुहूर्तः-करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर दिन मंगलवार की शाम 05 बजकर 29 मिनट से शुरू हो जाएगा। यह शाम 06 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। चंद्रोदय शाम 7 बजकर 57 मनिट पर होगा।
चंद्र दर्शन के बाद खोलें व्रतः-करवा चौथ का व्रत रात के समय चंद्र देव की पूजा और अर्घ्य देकर ही संपन्न होता है। छलनी पर दीया रखकर चंद्रमा को देखें और फिर पति के चेहरे को देखकर व्रत खोलें जानें की मान्यता है।
करवा चौथ के दिन सरगी का भी है विशेष महत्व
करवा चौथ के दिन सरगी का भी विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और लड़कियां सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद सरगी खाती हैं। सरगी आमतौर पर सास तैयार करती है। सरगी में सूखे मेवे, नारियल, फल और मिठाई खाई जाती है। अगर सास नहीं है तो घर का कोई बड़ा भी अपनी बहू के लिए सरगी बना सकता है, जो लड़कियां शादी से पहले करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। उसके ससुराल वाले एक शाम पहले उसे सरगी दे आते हैं। सरगी सुबह सूरज उगने से पहले खाई जाती है ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे।
करवा चौथ की पूजाः-करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें। इसके बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपने सभी बड़ों का आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें। पानी का लोटा और 13 दाने गेहूं के अलग रख लें। चंद्रमा के निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें। चंद्रमा को अर्घ्य देते वक्त पति की लंबी उम्र और जिंदगी भर आपका साथ बना रहे इसकी कामना करें। अब पति को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल पीएं। अब पति के साथ बैठकर भोजन करें।
पूजन सामग्रीः-मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, चंदन, कुमकुम, रोली, दीपक, रूई, अगरबत्ती, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, मिठाई, चीनी का बूरा, चीनी, हल्दी, चावल, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे।
पूजा विधिः-सूर्यादय से पहले सरगी ग्रहण करें और फिर दिन भर निर्जला व्रत रखें। दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और भिगे हुए चावलों को पीसकर घोल तैयार कर लें। इस घोल से फलक पर करवा का चित्र बनाएं। वैसे बाजार में आजकर रेडीमेड फोटो भी मिल जाती हैं। इन्हें वर कहा जाता है। चित्रित करने की कला को करवा धरना का जाता है। आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। मीठे में हल्वा या खीर बनाएं और पकवान भी तैयार करें। अब पीली मिट्टी और गोबर की मदद से माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं। अब इस प्रतिमा को लकड़ी के आसान पर बिठाकर मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी और बिछुआ अर्पित करें। जल से भर हुआ लोट रखें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं। अब गौरी-गणेश और चित्रित करवा की पूजा करें।