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Kandoli Walk To Know The Pain : स्कूल जाते बच्चों के कष्ट जानने को कंडोली पैदल चले मोहित व सहियोगी ।

Kandoli Walk To Know The Pain

Kandoli Walk To Know The Pain

रिपोर्ट- ज्योति यादव

Kandoli Walk To Know The Pain : डोईवाला । डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में राजधानी से करीब 30 किमी. दूर रहने वाले बच्चों को शिक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है । राजीव गांधी पंचायत राज संगठन के प्रदेश संयोजक मोहित उनियाल व उनके साथियों ने बच्चों की दिक्कतों को समझने के लिए कंडोली स्थित उनके घर से इठारना स्कूल तक छह किमी.की पदयात्रा की । वन क्षेत्र से होकर जाने वाले इस रास्ते पर तीन किमी. की खड़ी चढ़ाई है । इससे पहले उनियाल हल्द्वाड़ी से धारकोट तक बच्चों के साथ आठ किमी. पैदल चले थे ।

Kandoli Walk To Know The Pain : सुबह साढ़े छह बजे कंडोली गांव पहुंच गए

उनियाल ने बताया कि हम सुबह साढ़े छह बजे कंडोली गांव पहुंच गए थे । गडूल ग्राम पंचायत का कंडोली गांव सूर्याधार झील से करीब दो किमी.आगे है । यहां से कंडोली गांव की कक्षा 12वीं की छात्रा सोनी और उनकी बहनों सपना कक्षा नौ तथा दीक्षा कक्षा सात के साथ उनके स्कूल तक की पैदल यात्रा शुरू की । रास्ते में पड़ने वाले खरक गांव से दसवीं के छात्र मोहन ने भी इठारना स्थित राजकीय इंटर कालेज के लिए यात्रा शुरू की । स्कूल जाने की जल्दी में बच्चे सुबह खाना नहीं खा पाते । वो दिन में एक बार शाम पांच बजे ही खाना खाते हैं । ये बच्चे रोजाना 12 किमी. पैदल चलते हैं ।

Kandoli Walk To Know The Pain : तीन किमी. का रास्ता वन क्षेत्र से होकर जाता

उन्होंने बताया लगभग तीन किमी. का रास्ता वन क्षेत्र से होकर जाता है । यह जोखिमवाला पगडंडीनुमा रास्ता है, जिस पर जंगली जानवरों गुलदार, भालू का खतरा बना रहता है । बरसात में बच्चों को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । उनियाल बताते हैं, करीब एक माह पहले ही सोनी को रास्ते में दो गुलदार आपस में लड़ते हुए दिखे । सौभाग्यवश किसी तरह वह घर सकुशल पहुंच गई । बच्चे बताते हैं, सूर्याधार झील बनने से उन्हें लगा था कि इठारना तक सड़क बन जाएगी, पर ऐसा नहीं हो सका । यह रास्ता भी ग्रामीणों ने बनाया है, ताकि बच्चे स्कूल जा सकें ।

Kandoli Walk To Know The Pain : कक्षा पांच तक के बच्चे सिल्लाचौकी प्राइमरी स्कूल जाते

वहीं, कंडोली से सूर्याधारझील के पास से होकर कक्षा पांच तक के बच्चे सिल्लाचौकी प्राइमरी स्कूल जाते हैं । झील से कंडोली तक आधे रास्ते में सीमेंटेड रोड तो बना दिया गया, पर इसके किनारों पर सुरक्षा दीवार पैराफिट्स नहीं बनाये गए, जिससे बच्चों व ग्रामीणों की सुरक्षा की चिंता बनी रहती है । अभिभावक विमला रावत ने बताया कि उनका बेटा अभिषेक कक्षा चार में पढ़ता है, हमें उसकी सुरक्षा की चिंता बनी रहती है । करीब एक माह पहले एक गाड़ी झील में गिर गई थी । सिल्लाचौकी में रहने वाले बच्चे कक्षा पांचवी के बाद ही पढ़ाई के लिए करीब सात किमी. दूर भोगपुर स्थित स्कूल जाते हैं ।

उन्होंने बताया कि सरकार को दूरस्थ इलाकों के बच्चों के लिए स्कूलों के पास ही छात्रावास की व्यवस्था करनी चाहिए । सरकार चाहे तो उन स्थानों तक वैन लगा सकती है, जहां तक संभव हो । उन्होंने इन बच्चों के पोषण और सेहत के लिए आवश्यक कदम उठाने पर जोर दिया ।

Kandoli Walk To Know The Pain : सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करके समाधान की ओर बढ़ना

उनियाल का कहना है, इस मुहिम का उद्देश्य, पर्वतीय गांवों की महिलाओं और बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करके समाधान की ओर बढ़ना है । हम इसलिए शर्मिंदा हैं, क्योंकि सामाजिक जीवन में दो दशक गुजारने के बाद भी, हम अपने आसपास रहने वाले लोगों की किसी एक समस्या के समाधान के लिए कुछ नहीं कर पाए । कंडोली से इठारना तक की यात्रा में उनके साथ नियोविजन संस्था के संस्थापक गजेंद्र रमोला, आईटी प्रोफेशनल दीपक जुयाल, संगठन के सदस्य शुभम काम्बोज शामिल थे ।

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