समय से बारिश नहीं हुई तो काश्तकार आ जायेंगे संकट में
ऊखीमठ। वर्तमान में समूचे केदार घाटी में मौसम के अनूकूल बर्फबारी व बारिश न होने से हिमालय बर्फ विहीन दिख रहा है। साथ ही निचले क्षेत्रों में काश्तकारों की फसलों को नुकसान हो रहा है। आने वाले दिनों में यदि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई तो काश्तकारों की फसलो को भारी नुकसान पहुंचने की सम्भावना है। विगत दिनों हिमालयी क्षेत्रों में कुछ दिन बर्फबारी तो हुई थी, लेकिन बर्फबारी निरन्तर न होने से हिमालय बर्फ विहीन होता जा रहा है।
विगत वर्षों की बात कर तो मौसम के अनूकूल समय-समय पर बारिश होती रहती थी मगर इस वर्ष बरसात के बाद अभी तक बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं, जौ, सरसो, मटर की फसलो के साथ साग-भाजी भी प्रभावित होने लगी है। विगत दिनों मौसम विभाग ने 30- 31 अक्टूबर को बारिश होने की जानकारी तो दी थी मगर हल्की बूंदाबादी होने से काश्तकारों को भारी निराशा मिली। आने वाले दिनों में यदि मौसम का मिज़ाज इसी प्रकार रहा तो काश्तकारों की फसलो को भारी नुकसान पहुंचने के साथ पेयजल स्रोतों के जल स्तर पर भारी गिरावट आने से आगामी मई जून में भारी पेयजल संकट गहराने की सम्भावना है। इस वर्ष हिमालयी क्षेत्रों में 27 सितम्बर को मौसम की पहली बर्फबारी सहित अभी तक तीन बार बर्फबारी हो चुकी है, मगर हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुसार अत्यधिक बर्फबारी न होने से हिमालय बर्फबारी विहीन हो गया है। जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा, परकण्डी रीना बिष्ट, गुप्तकाशी गणेश तिवारी ने बताया कि सम्पूर्ण केदारघाटी में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकार बहुत परेशान है। कनिष्ठ प्रमुख शैलेन्द्र कोटवाल ने बताया कि नमी वाले खेतों में गेहूं की फसले मानक के अनुसार जम चुकी है मगर अन्य खेतों में बारिश के अभाव में फसले सूखने की कंगार पर है। प्रधान संगठन ब्लॉक अध्यक्ष सुभाष रावत, संरक्षक सन्दीप पुष्वाण ने बताया कि आने वाले दिनों में यदि मौसम के अनुकूल बारिश नहीं होती है तो काश्तकारों को भारी निराशा होगी। जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो सकता है। काश्तकार सुरेन्द्र राणा ने बताया कि मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की फसलो को भारी नुकसान हो सकता है।