देहरादून: राज्य में पांच साल तक के 59.8 प्रतिशत बच्चे खून की कमी यानी एनिमिया की बीमारी से ग्रसित हैं। जबकि 42.4 प्रतिशत गर्भवती, 50.1 प्रतिशत धात्री महिलाएं, 15-19 आयु वर्ग में 20 प्रतिशत किशोर व 42.4 प्रतिशत किशोरियां भी इस बीमारी से पीड़ित हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने एनीमिया मुक्त उत्तराखंड अभियान के तहत स्वास्थ्य महानिदेशालय में एनिमिया की जांच, उपचार व बचाव पर आधारित टेस्ट, ट्रीट एंड टाक (टी-3) शिविर का आयोजन किया।
ऐसे करे एनीमिया से जीत हासिल।
राष्ट्रीय स्वस्थ मिशन की निदेशक सोनिका ने इस अवसर पर कहा कि राज्य में एनीमिया एक गंभीर समस्या बन रही है और इसके लिए पोषण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने आंकड़े देते हुए कहा कि हर वर्ग में खून की कमी की समस्या देखने को मिल रही है। हम सभी के लिए एनीमिया के स्तर को कम करने और पोषण पर विशेष देना अनिवार्य हो गया है। उन्होंने कहा कि किशोरावस्था के दौरान विशेष तौर पर माता-पिता को अपने बच्चों में एनीमिया के स्तर को देखना होगा। तभी एक स्वस्थ समाज बन पाएगा। बच्चों में पोषण के लिए खानपान को विशेष तौर पर प्राथमिकता देने की आवश्यकता हैं।
एनीमिया मुक्त मिशन में दि जा रही अनेको सुविधाएं।
एनीमिया मुक्त उत्तखंड अभियान के तहत 5 साल तक के बच्चों के लिए एएनएम, आशा व आगनबाड़ी के माध्यम से आइएफए सिरप वितरित की जा रही है। इसके अतिरिक्त आइएफए टेबलेट भी उपलब्ध कराई गई है। एनएचएम निदेशक डा. सरोज मैथानी ने बताया कि इस प्रकार के शिविर सितंबर एवं आने वाले महीनों में उत्तराखंड के सभी जिलों में आयोजित किए जाएंगे।
रिपोर्टर संध्या कौशल।