देहरादून। उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बीच शुरू हुआ सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है। 20 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने पहले बोर्ड के अध्यक्ष पद से श्रम मंत्री हरक सिंह रावत को हटाया और अब हरक की करीबी दमयंती रावत को भी सचिव पद से हटा दिया, तो हरक ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। हरक के बोलते ही माहौल और गरमा गया है। शुक्रवार को चुप्पी तोड़ते हुए हरक सिंह रावत ने दमयंती को हटाए जाने को चुनौती दे डाली है।
कर्मकार कल्याण बोर्ड के नव नियुत्तफ अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल के सचिव दमयंती रावत को पद से हटाने के आदेश ने सियासी उबाल ला दिया है। अब तक चुप्पी साधे बैठे श्रम मंत्री हरक सिंह रावत का धैर्य भी जवाब दे गया। पहली बार हरक ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि शमशेर सिंह सत्याल की ओर से किया गया आदेश अज्ञानतावश दिया गया आदेश है। दमयंती रावत अब भी बोर्ड की सचिव बनी रहेंगी। कहा कि कानून में, संविधन में ऐसा कोई प्रावधन नहीं है कि कोई दायित्वधरी अपने हस्ताक्षर से जिम्मेदार पद पर बैठे किसी अफसर को हटा दे। इसकी पावर बोर्ड को है लेकिन, बोर्ड की अभी मीटिंग तक नहीं हुई है। कहा कि भले ही बोर्ड से अध्यक्ष के रूप में मुझे हटा दिया गया है, लेकिन मनोनीत सदस्य तो अब भी चार साल तक काम कर सकते हैं। मनोनीत सदस्यों की जगह अभी किसी को नहीं रहा गया है। लिहाजा बोर्ड के छह मनोनीत सदस्य अपनी जगह बने रहेंगे और उनका वोट महत्वपूर्ण होगा। कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को भी यह बात दस्तावेजों के साथ बता दी है। कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं भी चाहें तो किसी सचिव को नहीं हटा सकते। मुख्यमंत्री अनुमोदन करेंगे लेकिन आदेश तो कार्मिक विभाग ही जारी करेगा। कहा कि ऐसे ही कोई दायित्वधरी अपनी मर्जी से आदेश करने लगे तो व्यवस्था चौपट हो जाएगी। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि दमयंती रावत बोर्ड की सचिव थीं और बनी रहेंगी।