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सीएम तीरथ सिंह रावत को लेकर हरीश रावत ने फिर दिया बयान, कहीं इतनी बड़ी बात

Dehradun: At present, the issue of the chair of Chief Minister Tirath is heating up. Due to the constitutional compulsion, there are constant statements about CM Singh Rawat. Due to this, former Chief Minister of Uttarakhand Harish Rawat has also issued a big statement regarding Chief Minister Tirath Singh Rawat. Harish Rawat has issued a statement through a video saying that Chief Minister Tirath Singh Rawat has now lost the opportunity and now it is not possible for him to win the election. Along with this, former Chief Minister Harish Rawat said that on September 10, 2021, Mr. Taking oath as Chief Minister Tirath Singh Rawat ji that the period of 6 months is completed. According to the Constitution of India, it was necessary for him to contest the elections of the Legislative Assembly during this period of 6 months and become its member. There was an opportunity in front of him when the by-election to the Assembly of Salt was being held, he would come from there to contest and get elected, and could discharge his remaining term in the Constitution Samvat manner. But now it is not possible for them to do so because it is very clear in our constitution that because in our constitution the responsibility of election, the responsibility of election has been entrusted to the Election Commission. More about this source textSource text required for additional translation information Send feedback Side panels

देहरादून : वर्तमान में मुख्यमंत्री तीरथ की कुर्सी का मुद्दा गरमा रहा है  ।  संविधानिक बाध्यता के चलते सीएम सिंह रावत को लेकर लगातार बयान आ रहे है । इसी के चलते उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को लेकर बड़ा बयान जारी किया है । हरीश रावत ने एक वीडियो के जरिए बयान जारी करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अब मौका गवा चुके हैं और अब चुनाव जीतना उनके लिए संभव नहीं है ।

इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि 10 सितंबर 2021 को उत्तराखंड के मा. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिये हुये कि 6 माह की अवधि पूरी होती है। भारत के संविधान के अनुसार उनके लिए आवश्यक था कि वो इस 6 माह की अवधि में विधानसभा का चुनाव लड़े और उसके सदस्य बनें। उनके सम्मुख अवसर था जब सल्ट की विधानसभा का उपचुनाव हो रहा था, वो वहां से चुनाव लड़ते और निर्वाचित होकर के आते, और संविधान संवत तरीके से अपने शेष कार्यकाल का निर्वहन कर सकते थे । लेकिन अब ऐसा करना उनके लिए संभव नहीं है क्योंकि हमारे संविधान के अंदर बहुत साफ है कि क्योंकि हमारे संविधान में चुनाव का दायित्व, निर्वाचन का दायित्व निर्वाचन आयोग को सौंपा है ।

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