Harak Rawat In Trouble : वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में कोटद्वार विधानसभा सीट इस बार भी सुर्खियों में है। हर चुनाव में सीट बदलकर चुनाव लड़ने वाले डॉ. हरक सिंह रावत ने वर्ष 2016 में भाजपा का दामन थामा और खंडूड़ी की हार का बदला लेने की बात करते हुए 2017 के चुनाव में कोटद्वार से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। लेकिन इस बार उनके यहां से चुनाव लड़ने को लेकर असमंजस बना हुआ है।
Harak Rawat In Trouble : धीरेंद्र चौहान पर दांव खेल सकती है पार्टी
ऐसी स्थिति में भाजपा यहां ट्रंप कार्ड के रूप में सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े पूर्व जिलाध्यक्ष धीरेंद्र चौहान पर दांव खेल सकती है। पार्टी सूत्र भी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि हरक सिंह रावत यदि कोटद्वार से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो ऐसे में धीरेंद्र चौहान पार्टी का चेहरा बन सकते हैं।
Harak Rawat In Trouble : विभा चौहान ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी और दूसरे नंबर पर रहीं
जन विरोध के बावजूद वह नगर निगम बनाने में तो सफल हो गए, लेकिन नगर निगम के चुनाव में भी अपने पसंदीदा उम्मीदवार को टिकट नहीं दिलवा सके। सर्वविदित है कि नगर निगम में वह पूर्व जिलाध्यक्ष धीरेंद्र चौहान की पत्नी विभा चौहान को मेयर का टिकट दिलवाना चाहते थे, लेकिन संगठन ने लैंसडौन के विधायक दिलीप रावत की पत्नी नीतू रावत को पार्टी का चेहरा बनाया। नगर निगम चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद विभा चौहान ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी और दूसरे नंबर पर रहीं।
Harak Rawat In Trouble : 2022 के चुनाव में कोटद्वार विधानसभा सीट पर जीत दर्ज
भाजपा हर हाल में 2022 के चुनाव में कोटद्वार विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करना चाहती है। इसीलिए पार्टी वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को कोटद्वार विधानसभा सीट से दोबारा चुनाव लड़वाना चाहती है। यदि वह इस सीट से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो पार्टी धीरेंद्र चौहान के नाम का ट्रंप कार्ड चल सकती है। सियासी जानकार धीरेंद्र चौहान को मजबूत प्रत्याशी मान रहे हैं, जो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।