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मुख्यमंत्री तीरथ के सीएम पद से हटने की खबरों पर पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सुमन ध्यानी ने विपक्ष को समझाया संविधान

Dehradun: On the news of CM Tirath stepping down from the post of CM due to constitutional compulsion, former state spokesperson of Uttarakhand BJP Suman Dhyani has said some important things while issuing a statement. The former state spokesperson said that nowadays the opponents of BJP are working to spread confusion among the public regarding Article 151A provided in the Constitution. Apart from the BJP, the opposition parties are trying to tarnish the image of Chief Minister Tirath Singh Rawat. In such a situation, it has become necessary to tell the truth in front of the public. I want to clarify that it has been written in section 151A of the Representation of the People Act that the Election Commission will have to conduct elections within six months, if any MLA's seat is declared vacant, then it will be six months from the date of receipt of information by the Election Commission. will be counted from But if the term of the member has been less than one year, then this obligation automatically lapses. I want to clarify that nowhere is it written in Article 151A that the Election Commission cannot hold elections if the term of the member of the seat falling vacant is less than one year. If the Election Commission wants to hold elections, then how can it be stopped. It has also been clarified in this section that the Election Commission can also consult the Central Government in this regard. The Election Commission, exercising its emergency powers due to the Corona epidemic, had recently canceled the by-elections to three Lok Sabha and 8 Legislative Assemblies of different states. Now the ill-effects of Corona Mahabhari, especially in Uttarakhand, are decreasing. In such a situation, the Election Commission can conduct by-elections with the compulsion of virtual campaign medium. The scholars who are putting a question mark on the Uttarkashi by-election by taking the help of 151 A. I request him to also explain the above section of the constitution. Because not everything can be written in the constitution. It is also necessary to interpret what is written, which is also done by the Supreme Court, anyway, the Constitution of India is the largest written constitution in the world, but still it has been interpreted again and again and sometimes to clarify this interpretation. Amendments have also taken place. In the end, I want to tell the opposition parties and BJP opponents that they should study the constitution again and again, then say something against the BJP or our Chief Minister, otherwise they will have to face the face.

देहरादून – संविधानिक बाध्यता के चलते सीएम तीरथ के सीएम पद की कुर्सी से उतरने की खबरों पर  उत्त्तराखण्ड भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सुमन ध्यानी ने  बयान जारी करते हुए कुछ अहम बाते कहीं है ।पूर्व प्रदेश प्रवक्ता  ने कहा कि आजकल संविधान में प्रदत्त आर्टिकल 151A को लेकर भाजपा के विरोधी जनता में भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं। विपक्षी दल भाजपा के अलावा मुख्य मंत्री तीरथ सिंह रावत  की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में जनता के सामने सच्चाई बताना जरूरी हो गया है।

मैं स्पष्ट करना चाहता है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 151A में लिखा गया है कि चुनाव आयोग को छ: माह के अन्दर चुनाव कराना होगा यदि कोई भी विधायक की सीट खाली घोषित होती हैं तो यह छह माह का समय चुनाव आयोग को प्राप्त सूचना की तिथि से गिना जायेगा। लेकिन यदि सदस्य का कार्यकाल एक वर्ष से कम रहा गया हो तो यह बाध्यता स्वयं समाप्त हो जाती है।

मैं यह स्पष्ट करना चाहता है कि आर्टिकल 151A में कहीं नहीं लिखा गया यदि खाली होने वाली सीट के सदस्य का कार्यकाल एक वर्ष से कम रहा है  तो चुनाव आयोग चुनाव करा ही नहीं सकता है। चुनाव आयोग यदि चुनाव कराना चाहता है  तो उसे कैसे रोका जा सकता है।इसी धारा में यह भी स्पष्ट किया गय्या है कि इस सम्बन्ध में चुनाव आयोग केन्द्र सरकार से भी विचार विमर्श कर सकता है।

चुनाव आयोग ने कोरोना महामारी की वजह से अपने आपात अधिकारों का प्रयोग करते हुए पिछले दिनों तीन लोकसभा तथा विभिन्न राज्यों की 8 विधान सभाओं के उपचुनाव निरस्त किये थे।  अब खासकर उत्तरराखंड में कोरोना महाभारी का कुप्रभाव कम हो रहा है।  ऐसे में चुनाव आयोग वर्चुअल प्रचार माध्यम की बाध्यता के साथ  उपचुनाव करा सकता है ।जो विद्वान लोग 151 A का सहारा लेकर उत्तरकाशी उपचुनाव पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। उनसे मेरा अनुरोध है कि संविधान की उपरोक्त धारा की व्याख्या भी करें। क्योंकि सविधान में सब कुछ लिखा नहीं जा सकता है। जो लिखा है उसकी  व्याख्या भी जरुरी है, जो कि सुप्रीम कोर्ट भी करता है, वैसे भी हिन्दुस्तान का संविधान विश्व में सबसे बड़ा लिखित संविधान है, लेकिन फिर भी उसकी बार-बार व्याख्या हुई है और कभी-कभी  इसी व्याख्या को स्पष्ट करने के लिए संशोधन भी हुए हैं।अंत में विरोधी दलों एवं भाजपा विरोधियों से कहना चाहता हूँ कि वे संविधान का बार बार अध्ययन करें तब भाजपा या व हमारे मुख्य मंत्री के खिलाफ कुछ बोलें अन्यथा उन्हें मुँह की खानी पड़ेगी।

 

 

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