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मांगों को लेकर कर्मचारी रहे हड़ताल पर, केंद्र सरकार के खिलाफ की नारेबाजी

हल्द्वानी। उत्तराखंड संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के आह्वान पर गुरुवार को बैंक, बीमा, पोस्टल, रक्षा, बिजली कर्मचारी, आंगनबाड़ी, भोजनमाता, आशा वर्कर्स, केंद्रीय कर्मचारी आदि राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर रहे। कर्मचारियों की विभिन्न संगठनों ने आंदोलन को समर्थन दिया। कर्मचारियों ने कहा कि केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ कर्मचारी लामबंद हैं। मोदी के पीएम बनने के बाद करोड़ों श्रमिक बेरोजगार हुए हैं। देश को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने वाले मजदूर और किसानों का आज बुरा हाल है। केंद्र सरकार ने मजदूरों हितों की रक्षा करने वाले 44 श्रम कानूनों में बदलाव कर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का रास्ता किया है।
नेशनल फेडरेशन आफ पोस्टल इम्प्लाइज के नारे पर डाल कर्मचारी हल्द्वानी मुख्य डाकघर परिसर में धर्म दिया। कर्मचारी नेता ने कहा कि कोरोना काम में अपनी सेहत से खेलकर काम करने वालों को सरकार उपेक्षित कर रही है। कर्मचारियों का शोषण बर्दाश्त नहीं होगा। श्रम विरोधी नीतियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नई पेंशन नीति को धोखा बताया और पुरानी पेंशन बहाली की मांग की।
सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले के उत्तराखंड राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि 26-27 नवंबर को पूरे देश के मजदूर किसानों ने अपने देशव्यापी हड़ताल और आंदोलन के माध्यम से लगातार मजदूर-किसान विरोधी कानून पारित कर रही मोदी सरकार की विदाई का बिगुल बजा दिया है। कहा कि आज संविधान दिवस के मौके पर मजदूर वर्ग ने देश के संविधान पर हो रहे हमलों से संविधान और संविधान प्रदत्त अधिकारों को बचाने की लड़ाई लड़ने का ऐलान करते हुए साफ कर दिया है कि जिस तरह अंग्रेजों के कंपनी राज के खिलाफ संघर्ष चलाते हुए उसे खत्म किया उसी तरह इस नए कंपनी राज के खिलाफ जिसमें मजदूरों-किसानों को कॉरपोरेट की गुलामी की ओर धकेला जा रहा है इसके खिलाफ मजदूर आरपार की लड़ाई लड़ने को तैयार है।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगें ये हैं- नवीन पेंशन योजना एनएसपी समाप्त कर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करना। एफआर 56 जे के तहत कर्मचारियों की सेवा समाप्ति के निर्णय को समाप्त किया जाए। मान्यता प्राप्त संगठनों पर आक्रमण बंद हो। श्रमिक और कर्मचारी विरोधी सुधारों को बंद करो। महंगाई भक्तों पर रोक को समाप्त किया जाए। वेतन पुनरीक्षण 5 वर्ष में किया जाए आठवां वेतन आयोग गठित हो। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन निर्धारण फार्मूला लागू किया जाए। कोरोना के कारण लॉकडाउन के दौरान अनुपस्थित कर्मचारियों को विशेष आकस्मिक अवकाश मिले। कोरोना के कारण मृत कर्मचारियों के आश्रितों को दस लाख अतिरिक्त मुआवजा व मृतक आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति मिले। डाकघरों से कामन सर्विस सेंटर को हटाया जाए। पांच दिनों का कार्य सप्ताह लागू किया जाए।

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