देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने पिथौरागढ़ के धारचूला क्षेत्र में आपदा प्रभावित आधा दर्जन से अधिक गांवों के पुनर्वास का मामला उठाया। साथ ही राहत शिविरों में रह रहे लोगों को 30 अक्टूबर तक गांवों में वापस भेजने के प्रशासन के निर्देशों को वापस लेने की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में धारचूला विधायक हरीश धामी ने भी राज्य सरकार पर प्रभावित गांवों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। हरीश रावत ने कहा कि प्रदेश के 331 गावों का विस्थापन होना है। जब हमारी सरकार थी तो हमने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था। हमने प्रस्ताव में कहा था कि अगर इन गावों के विस्थापन से वन संपंदा को नुकसान होता है तो उसकी भरपाई की जाएगी। इन गावों के सामने तलवार लटकी है।
डबल इंजन की सरकार कोई फैसला इन गावों के संबंध में नहीं ले रही है। अभी कुछ दिन पहले सीएम पिथौरागढ़ गये थे, मगर मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावितों के लिये कोई ऐलान नही किया। इस साल की आपदा में ही करीब 28 लोगो की मौत हुई है। काफी लोगों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। धामी ने कहा कि धारचूला विधानसभा में इस बार भयंकर आपदा आई थी। जिस कारण तल्ला जौहार, से लेकर मुंस्यारी, धारचूला, व्यास, चौदास और दारमा घाटियों के हालात बहुत ही खराब हो चुके है। मदकोट मुन्स्यारी -जौलजीबी मार्ग अभी तक नहीं खुला है। आपदा प्रभावितों को राहत शिवरों में रखा गया है। अब प्रशासन राहत शिविरों में रह रहे प्रभावितों को अपने घर जाने को कह रही है, जबकि इन प्रभावितों के आवास आपदा में तबाह हो चुके है। धामी ने इस संबंध में राज्यपाल को भी ज्ञापन भेजा है। प्रेसवार्ता में पूर्व विधायक मनोज तिवारी, पूर्व प्रवक्ता सुरेंद्र अग्रवाल व गरिमा दसौनी आदि मौजूद रहे।