देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जीरो टॉलरेंस नीति का पालन आबकारी महकमे में होता नजर नहीं आ रहा है। सीएम की सख्ती का असर विभागों से लेकर अफसरों में साफ दिखता है पर शायद आबकारी महकमे में कुछ और ही चल रहा है। दीपावली से ठीक एक दिन पहले कर्मचारियों के प्रमोशन के लिये बुलाए गये मेडिकल को आनन फानन में बिना वीडियो ग्राफी के करा दिया गया। अब ये फाइल तैयार कर लोकसेवा आयोग भेजने की तैयारी है। सूत्रों की मानें तो शासन स्तर पर इस प्रकरण पर हो रहे विवाद और सवालों को देख अफसर भी चिंतित है।
आबकारी महकमे में कर्मचारियों के प्रमोशन से पूर्व मेडिकल का विवाद अगस्त से चला आ रहा है। पहले मेडिकल के साथ हुई विडियोग्राफी आज भी मौजूद है। जानकारों की मानें तो इस मेडिकल मे अनफिट हो चुके लोगों को दोबारा एडजस्ट करने के लिये एक बार पूर्व में बुलाए गये मेडिकल पर विवाद होता देख इसे रोकने के आदेश दिये गये थे। लेकिन 13 नवंबर को बिना वीडियोग्राफी कराए मेड़िकल हो गये और सभी कर्मचारी फिट भी पाए गये। अब ये संपूर्ण फाइल तैयार कर प्रमोशन के लिये आयोग भेजे जाने की तैयारी है। कई सवाल भी है कि क्या जब पूर्व में मेडिकल हुआ था विभाग ने वीडियोग्राफऱ पेमेंट पर हायर किया था क्या उस समय का विडियो नही देखा जाना चाहिये थे। यदि पूर्व में हुए मेडिकल की रिपोर्ट नही मिली थी तो मानकों को वीडियोग्राफी की व्यवस्था क्यों खत्म हुई। सारे कर्मचारी एक साथ पास और फिट हो गये। बरहाल देखना होगा अधिकारी इस मामले का क्या संज्ञान लेते है।