आर्थिक अपराध शाखा ने वसुंधरा (गाजियाबाद) में एक आवासीय परियोजना में फ्लैट देने का सपना दिखाकर करोड़ों की ठगी करने वाली एक कंपनी के निदेशक को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने उस भूमि पर परियोजना की शुरुआत की, जो उसे आवंटित नहीं की गई थी। बाद में लीज राशि का भुगतान नहीं करने पर उसे रद्द कर दिया गया।
शाखा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आर के सिंह ने बताया कि आरोपी की पहचान अशोक निकेतन निवासी सिद्धार्थ बरमेचा के रूप में हुई है। जुलाई 2017 में शाखा को रचित चावला सहित 13 लोगों ने 4.5 करोड़ रुपये की ठगी की शिकायत दी थी, जिसमें बताया कि उन्हें मैसर्स बालाजी बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के वसुंधरा (गाजियाबाद) में चल रहे अजालिया ओपुस प्वाइंट परियोजना में घर देने का वादा किया गया था।
वर्ष 2012 में शिकायतकर्ता की सचिन दत्ता से मुलाकात हुई, जिसने परियोजना में निवेश करने के लिए कहा। परियोजना की सभी एजेंसियों और प्राधिकरण से एनओसी मिलने का दावा किया। कंपनी के निदेशक सिद्धार्थ बरमेचा ने तीन साल में परियोजना पूरा होने का भरोसा दिया। इसके बाद जुलाई 2012 से जनवरी 2013 के बीच शिकायतकर्ता ने एक करोड़ बीस लाख रुपये का भुगतान किया, लेकिन 2013 में उसने देखा कि परियोजना में फ्लैट निर्माण का काम शुरू नहीं किया गया है। उसके बाद इस बाबत 2017 में आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत की गई।जांच के दौरान पुलिस ने यूपी आवास विकास परिषद से जानकारी हासिल की, जिसमें पता चला कि एक भूखंड राजहंस टावर्स प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित किया गया था। बाद में बालाजी बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड ने सेल एग्रीमेंट कर उसमें प्रवेश किया था। कंपनी के निदेशक सचिन दत्ता ने प्राधिकरण से अनुमति के बिना भूखंड को बेचने के लिए समझौता कर लिया। बाद में लीज की राशि का भुगतान नहीं करने पर प्राधिकरण ने 2015 में भूखंड रद्द कर दिया।
सचिन दत्ता और सिद्धार्थ बरमेचा बैंक खातों में अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थे। जांच में पता चला कि उस भूखंड पर फ्लैट बेचने की एवज में 4.5 करोड़ रुपये जमा किए गए थे। सिद्धार्थ को शाखा ने जांच में शामिल होने का नोटिस भेजा, लेकिन उसने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया। आखिरकार सोमवार को उसे पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया।