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जर्जर सीवर लाइनें बढ़ा रहीं शहरवासियों का दर्द, शिकायतों के बावजूद जल संस्थान नहीं ले रहा सुध ।

dehradun siver line

देहरादून: दून में दशकों पुरानी सीवर लाइनें शहरवासियों की नाक में दम कर रही हैं। जर्जर लाइनों के कारण सड़कों पर चलना भी दूभर हो गया है। कई इलाकों में क्षतिग्रस्त सीवर लाइनों से गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। जबकि, आमजन की शिकायतों के बावजूद जल संस्थान सुध लेने को राजी नहीं।

पिछले करीब 11 साल से दूनवासियों की सीवर की समस्या जस की तस बनी हुई है। कहीं नई लाइनें बिछाने का कार्य पूर्ण होता है तो कहीं पुरानी लाइनें जवाब दे जाती हैं। ऐसे में शहर के किसी न किसी इलाके में हमेशा ही सीवर की समस्या बनी रहती है। इन दिनों भी इंद्रानगर, डालनवाला, चुक्खूवाला, चंदर रोड और खुड़बुड़ा मोहल्ला में सीवर सड़कों पर बहता सीवर नाक में दम कर रहा है। बात करें सीवर निस्तारण परियोजनाओं की तो उन्हें पूरा करने में 11 साल का लंबा समय लग गया और 280 करोड़ रुपये से राशि भी खर्च हो गई। लेकिन, नतीजा यह रहा कि इन परियोजनाओं से सिर्फ 26 फीसद सीवर का ही निस्तारण हो पा रहा है। दून में वर्तमान में 120 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) से अधिक क्षमता के सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार हैं, लेकिन, इनमें महज 50 एमएलडी के करीब ही सीवर पहुंच रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण क्षतिग्रस्त सीवर लाइनें हैं। वर्ष 2008 तक एडीबी, जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) व 13वें वित्त आयोग की अलग-अलग योजना के तहत दून की सीवरेज व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का काम शुरू कर लिया गया था। 2015-2016 से 2017-18 के बीच ये काम पूरे कर लिए गए। लेकिन, बड़ी संख्या में नव-निॢमत सीवर लाइनें जगह-जगह मिट्टी-पत्थर और अन्य कबाड़ से चोक हो गईं। साथ पुरानी लाइनें भी आए दिन क्षतिग्रस्त होने लगीं। यही कारण था कि जल संस्थान ने पेयजल निगम (जेएनएनयूआरएम और 13वां वित्त आयोग पोषित योजना का निर्माण करने वाली एजेंसी) की 200 किलोमीटर लाइनों को अपनी सुपुर्दगी में लेने से इनकार कर दिया।दूसरी तरफ एडीबी विंग ने जो 128 किलोमीटर नई लाइनें बिछाई थीं, उनसे तो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में जा रहा है। लेकिन, करीब 400 किलोमीटर की पुरानी सीवर लाइनें जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो जाने से इनका सीवर निस्तारित नहीं किया जा रहा। ऐसे में जल संस्थान की सबसे बड़ी चुनौती पुरानी लाइनों को दुरुस्त करना है। अधिकारियों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में सीवर लाइनें 30 वर्ष से अधिक पुरानी हैं उन्हें बदलने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही लाइनों की सफाई और मरम्मत पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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