नई दिल्ली, एजेंसियां। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे से चीन और भारत की सेनाएं निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार पीछे हट रही हैं। इस प्रक्रिया के पूरे होने में छह-सात दिन और लगेंगे। यह जानकारी रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़े सूत्रों ने दी है। सूत्रों ने बताया कि पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे से चीन की सेना बंकर, अस्थायी चौैकियां और अन्य निर्माण ध्वस्त करते हुए पीछे हट रही है। चीनी जवानों की तादाद भी लगातार कम हो रही है। समाचार एजेंसी एएनआइ ने भारतीय सेना की उत्तरी कमान के हवाले से इसका फोटो और वीडियो शेयर किया है।
सूत्रों ने बताया कि दोनों तरफ के कमांडर हर दिन मुलाकात कर सेना हटाने की प्रक्रिया पर चर्चा करते हैं। दोनों देशों के बीच सेना हटाने पर नौ दौर की उच्चस्तरीय वार्ताओं के बाद पिछले हफ्ते ही सहमति बनी थी। बता दें कि दोनों देशों के बीच बनी सहमति के अनुसार चीन को फिंगर ऐट के आगे सिरीजाप चौकी पर अपनी फौज को ले जाना है। वहीं भारतीय सेना को फिंगर टू-थ्री के बीच स्थित चौकी धन सिंह थापा पर लौैटना है। कई साल से यही भारत की स्थायी चौकी है। दोनों देशों की सेनाओं की गश्त और अन्य गतिविधियां अस्थायी तौर पर बंद रहेंगी।
पैंगोंग झील के किनारे पहाड़ की आकृति अंगुलियों की तरह
पैंगोंग झील के किनारे पहाड़ की आकृति अंगुलियों की तरह दिखती है। यही वजह है कि इन्हें फिंगर कहा जाता है। इनकी संख्या आठ है। भारत का दावा फिंगर ऐट तक है। चीन के फिंगर फोर तक दावे से विवाद पैदा हो गया। पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर फिंगर फोर और फिंगर ऐट के बीच आठ किलोमीटर का फासला है। यहां दोनों सेनाओं के बीच कई बाब भिड़ंत हो चुकी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार फिंगर फोर से चीनी सैनिकों की तादाद में काफी कमी आई है। एलएसी पर यथास्थिति बदलने के लिए चीन ने फिंगर फोर और पैंगोंग झील के दक्षिण में भारी संख्या में जवान और अन्य साजोसामान तैनात कर दिया था। झील से चीन की सेना अपनी नांव भी हटा रही है। पिछले साल तनाव बढ़ने के बाद उसने फिंगर ऐट से आगे इन्हें तैनात किया था।
गश्त फिर से शुरू होगी
जानकारी के अनुसार एक बार सेनाओं के पीछे चले जाने के बाद राजनयिक और सैन्य बातचीत होंगी। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच सहमति बनने के बाद ही गश्त फिर से शुरू होगी। बता दें कि पैंगोंग झील के दक्षिण में जहां दोनों देशों की सेनाएं बिल्कुल आमने-सामने थीं, वहां से भी सेनाएं पीछे हटने लगी हैं। यहां कुछ स्थानों पर दोनों देशों के टैंक मात्र 100 मीटर के फासले पर तैनात थे।
करीब दस महीने तक सैन्य गतिरोध रहा
गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण (LAC) पर करीब दस महीने तक सैन्य गतिरोध रहा। चीनी सैनिकों ने पिछले साल मई में पैंगोंग झील के अंदर और तट पर घुसपैठ कर ली। इसके बाद झील के उत्तरी तट पर टकराव तब शुरू हुआ। इसके बाद यह टकराव और क्षेत्रों में भी फैल गया। भारत ने चीन के मुकाबले झील के दक्षिणी तट पर पहाड़ियों पर अपनी सामरिक स्थिति काफी मजबूत कर ली। इससे चीन बेचैन हो गया।