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Chaitra Navratri 2022 : नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मुहूर्त, सौभाग्य में होगी वृद्धि

Chaitra Navratri 2022 : नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप श्री शैलपुत्री का पूजन किया जाता है. मां के इस भव्य स्वरूप की उत्पत्ति शैल यानी पत्थर से हुई है और इसीलिए मां को शैलपुत्री नाम से जाना जाता है. मां के इस स्वरुप को वृषारूढ़ भी कहते हैं, क्योंकि मां शैलपुत्री का वाहन वृष यानी बैल है.

Chaitra Navratri 2022 : धार्मिक मान्यताएं

मार्केण्डय पुराण के अनुसार पर्वतराज यानि शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा. साथ ही माता का वाहन बैल होने के कारण इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. इसलिए इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता आती है. उपनिषदों में मां को हेमवती भी कहा गया है. मां शैलपुत्री के दो हाथों में से दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां शैलपुत्री की पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य और मान- सम्मान मिलता है.

Chaitra Navratri 2022 : मां शैलपुत्री की पूजा करने से उत्तम वर की प्राप्ति भी होती है.

2 अप्रैल को प्रात: 06:10 बजे से प्रात: 08:31 बजे तक और दोपहर में 12:00 बजे से 12:50 बजे तक कलश स्थापना का मुहूर्त.ऐसे करें पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना: नवरात्रि के पहले दिन एक लकड़ी की पटरे पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाकर मां शैलपुत्री की मूर्ति रखें. मां शैलपुत्री को सफेद रंग की चीजें काफी प्रिय हैं, ऐसे में मां को सफेद रंग की चीजें अर्पित करें. मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाएं और सफेद आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें. एक साबुत पान का पत्ता लें और उसमें 27 साबुत लौंग रखें. इसके बाद ॐ शैलपुत्रये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें. मां के मंत्र का जाप करने के बाद लौंग को कलावे से बांधकर माला बना लें. इस लौंग की माला को मां शैलपुत्री को अर्पित करें. मां को सफेद बर्फी का भोग लगाएं. देवी मां की उपासना करते समय अपना मुंह घर की पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करके रखना चाहिए.

Chaitra Navratri 2022 : इन मंत्रों का करें उच्चारण

मां शैलपुत्री का मंत्र: देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्. वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ स्तुति: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥मां शैलपुत्री आरती: शैलपुत्री माँ बैल असवार. करें देवता जय जय कार॥ शिव-शंकर की प्रिय भवानी. तेरी महिमा किसी ने न जानी॥ र्वती तू उमा कहलावें. जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥ रिद्धि सिद्धि परवान करें तू. दया करें धनवान करें तू॥ मवार को शिव संग प्यारी. आरती जिसने तेरी उतारी॥ सकी सगरी आस पुजा दो. सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥ घी का सुन्दर दीप जला के. गोला गरी का भोग लगा के॥ श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें. प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥ जय गिरराज किशोरी अम्बे. शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥ मनोकामना पूर्ण कर दो. चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥

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