देहरादून: विवाह के लिए मतांतरण की प्रक्रिया पूरी न करने पर पटेलनगर कोतवाली पुलिस ने आरोपित युवक, युवती, मुफ्ती व युवक के फूफा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। 2018 में बने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम का पालन न करने पर मुकदमा दर्ज करने का उत्तराखंड में यह पहला मामला है।
पटेलनगर कोतवाली के प्रभारी प्रदीप राणा ने बताया कि नयानगर मेहूंवाला निवासी समीर अली ने शादी के बाद सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी देहरादून को जांच के लिए आदेश पारित किए कि समीर ने अधिनियम की शर्तों का पालन किया है या नहीं। मामले की जांच सीओ सदर अनुज कुमार को सौंपी गई।
जांच में पाया गया कि समीर अली व सीमाद्वार वसंत विहार की रहने वाली एक युवती की मुलाकात ट्यूशन पढ़ने के दौरान हुई थी। उस समय दौरान दोनों बालिग थे। आपसी सहमति के आधार पर दोनों ने निकाह तय किया। युवक व युवती दोनों मुफ्ती सलीम काजी के पास गए, जहां मुफ्ती सलीम ने बिना किसी दस्तावेजों के पहले युवती का मतांतरण कर उसे मुस्लिम नाम दिया। उसके बाद 28 सितंबर 2020 की शाम को समीर के फूफा शौकीन की मौजूदगी में दोनों का निकाह कराया गया।
सीओ ने बताया कि जांच में यह भी पाया गया कि समीर अली, युवती, मुफ्ती व शौकीन ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2018 का पालन नहीं किया। ऐसे में पटेलनगर कोतवाली में समीर अली, युवती, मुफ्ती सलीम काजी व समीर अली के फूफा शौकीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। पटेलनगर कोतवाली प्रभारी ने बताया कि युवती को बुलाकर पूछा जाएगा कि कहीं उसने किसी दबाव में आकर तो मतांतरण तो नहीं किया। जल्द ही आरोपितों की गिरफ्तारी की जाएगी।
अधिनियम में ये है व्यवस्था
यदि मतांतरण के उद्देश्य से विवाह किया गया तो उसे अमान्य घोषित किया जाएगा। मतांतरण के लिए जिला मजिस्ट्रेट या कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक माह पहले शपथपत्र देना होगा। यही नहीं, मतांतरण के लिए समारोह की भी पूर्व सूचना देनी होगी। सूचना नहीं देने की स्थिति में इसे अमान्य करार दिया जाएगा।