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उपलब्धियां गिनाकर खामियों को कागजों में दबा रही है प्रदेश सरकार,  यह हैं राजधानी देहरादून के अस्पतालों का हाल

Dehradun – The state of Uttarakhand including the country has been going through a difficult phase of corona epidemic for a long time. This epidemic has given people not only mental and physical problems, but people have also become far behind financially, even if all these things are ignored, then a big challenge has arisen in front of the people and that is the system. It works not to reduce the problem but to increase it and today we are going to talk about the same system in this report. What is the government doing------ In this era of Corona, many politicians counted the achievements of their tenure. Politicians are often seen saying that work is being done in the state, work is being done at the ground level, people are being given complete treatment, in the state. Vaccines are being administered to the people, soon a new scheme will be started in the state, all the necessities including ICU will be provided in the hospital but the ground reality is very different from all these things. The truth is such that roads are being excavated at the place of work in the state, instead of getting full treatment, people are being sent home saying that there is no empty bed in the hospital, no one is ready to talk about the vaccine in the state. is not. The whole facility in the ICU is a big deal, rather patients are waiting for a year for an "MRI" machine in the hospital. Awaiting inauguration of ICU and HDU built in Hospital Coronation Complex Let us tell you that the ICU and HDU built in the Coronation Complex of the Government District Hospital are waiting to be inaugurated. Yes, on the one hand, patients are going back home without treatment, then the departmental officers are waiting to see when the ICU and HDU built in the Coronation Complex of the State District Hospital by the hands of a politician will be inaugurated. In fact, in the second wave of Corona, 10-10 bed ICU and HDU wards were set up in the Coronation campus. So that serious patients of corona can be admitted to these ICU beds when needed. But as soon as the number of corona patients decreased in the city, the Kovid ward built in Coronation Hospital was closed. Now both ICU and HDU wards are ready, but till now patients have not started getting their facilities. According to sources, the intention of the officials is that the ward should be inaugurated by the Chief Minister of the state. "MRI" machine could not be installed in Doon Hospital for 1 year If we talk about Doon Hospital in the capital, then the condition is bad here too. It is worth noting that the "MRI" machine has not been installed in Doon Hospital since 1 year. It is now being claimed that an MRI machine will be installed in the next three months. But how much truth is there in these things, it will be known only when the time comes. Continuous statements are being made by the departmental officers that tenders were issued twice for a machine costing 4 crores, but the deal could not be finalized with any company, now the tender is going to be floated for the third time, whichever company offers. He will be given a chance. For your information, let me tell you that in the year 2007, an MRI machine was installed in the state hospital, with the help of this machine, 35 patients were examined daily, but in the year 2017, its period was completed. Despite the completion of the period, this machine was run till the year 2020 and people were tested with this machine. Due to which, along with the decrease in the test results, incidents of spiking or fire started coming to the fore, due to which the machine was stopped in the year 2020. Therefore, for a year, Doon Hospital and the patient are waiting for the "MRI" machine. After knowing the ground level truth, question marks arise in the mind that the government constantly counts its achievements but works to bury its flaws in papers.

देहरादून – देश सहित उत्तराखंड राज्य लम्बें समय से कोरोना महामारी के कठिन दौर से गुजर रहा है । इस महामारी ने लोगों को ना सिर्फ मानसिक और शारीरिक परेशानी दी है बल्कि लोग फाइनेंशली भी काफी पीछे हो गए हैं इन सब बातों को दरकिनार भी कर दिया जाए तो एक बड़ी चुनौती लोगों के सामने खड़ी हो गई और वह है सिस्टम एक ऐसा सिस्टम जो लोगों की परेशानी को कम करने का नहीं बल्कि बढ़ाने का काम करता है और आज हम उसी सिस्टम पर अपनी इस रिपोर्ट में बात करने जा रहे हैं ।

क्या कर रही है सरकार ——

कोरोना के इस दौर में कई राजनेताओं ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाई ।राजनेता  अक्सर यह कहते नजर आते हैं कि प्रदेश में काम किया जा रहा है, जमीनी स्तर पर काम किया जा रहा है, लोगों को पूरा इलाज दिया जा रहा है, प्रदेश में लोगो को वैक्सीन लगाई जा रही है, जल्द ही प्रदेश में एक नई योजना शुरू की जाएगी, हॉस्पिटल में आईसीयू सहित सारी जरूरत की चीजों की सुविधा दी जाएगी लेकिन जमीनी सच्चाई इन सब बातो से बहुत अलग है । सच्चाई कुछ यूं है कि प्रदेश में काम की जगह सड़को की खुदाई की जा रही है, लोगों को पूरा इलाज मिलने की जगह उन्हें यह कहकर घर भेजा जा रहा है कि अस्पताल में बेड खाली नहीं है,  प्रदेश में वैक्सीन पर बात करने को कोई तैयार नहीं है । आईसीयू में सारी सुविधा तो बहुत बड़ी बात है बल्कि अस्पताल में एक “एमआरआई” मशीन के लिए मरीजों को साल भर से इंतजार करना पढ़ रहा है ।

अस्पताल कोरोनेशन परिसर में बने आईसीयू और एचडीयू को उद्घाटन का इंतजार—

आपको बताते चलें कि राजकीय जिला अस्पताल कोरोनेशन परिसर में बने आईसीयू और एचडीयू को उद्घाटन का इंतजार है । जी हां  एक तरफ  मरीज बिना इलाज के घर वापस जा रहे हैं तो विभागीय अधिकारी इस इंतजार में बैठे हैं कि कब कोई राजनेता के हाथों से राजकीय जिला अस्पताल कोरोनेशन परिसर में बने आईसीयू और एचडीयू  का उद्घाटन किया जाएगा ।

दरअसल कोरोना की दूसरी लहर में कोरोनेशन परिसर में 10-10 बेड के आईसीयू और एचडीयू वार्ड स्थापित किए गए थे। ताकि कोरोना के गंभीर मरीजों को जरूरत पड़ने पर इन आईसीयू बेड में भर्ती किया जा सके। लेकिन जैसे ही शहर में कोरोना मरीजों की संख्या कम हुई वैसे ही कोरोनेशन अस्पताल में बनाए गए कोविड वार्ड को बंद कर दिया गया। अब आईसीयू और एचडीयू दोनों वार्ड बनकर तैयार हैं, लेकिन अब तक मरीजों को इनकी सुविधा मिलनी शुरू नहीं हो पाई है। सूत्रों के अनुसार अधिकारियों की मंशा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के हाथों से वार्ड का उद्घाटन कराया जाए।

दून अस्पताल में 1 साल से नहीं लग पाई “एमआरआई” मशीन —

बात अगर राजधानी के दून अस्पताल की जाएं तो यहां भी हाल बेहाल है । गौर करने वाली बात यह है कि दून अस्पताल में 1 साल से “एमआरआई” मशीन नहीं लग पाई है । अब दावा किया जा रहा है कि अगले तीन महीनों में एमआरआई मशीन लगाई जाएगी। लेकिन इन बातों में कितनी सच्चाई है यह तो समय आने पर ही पता चलेगा । विभागीय अधिकारियों की तरफ से लगातार यह बयान दिए जा रहे हैं कि 4 करोड की कीमत वाली मशीन के लिए दो बार टेंडर जारी किए गए थे लेकिन किसी भी कंपनी से डील फाइनल नहीं हो पाई अब तीसरी बार टेंडर निकालने जा रहे हैं जो भी कंपनी प्रस्ताव देगी उसको मौका दिया जाएगा ।

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि साल 2007 में राजकीय अस्पताल में एमआरआई मशीन लगाई गई थी इस मशीन की मदद से रोज 35 मरीजों की जांच की जाती थी लेकिन साल 2017 में इसकी अवधि पूरी हो गई । अवधि पूर्ण होने के बावजूद इस मशीन को साल 2020 तक चलाया गया और लोगों की इस मशीन से जांच की गई । जिसके चलते जांच के रिजल्ट में कमी आने के साथ-साथ बार-बार स्पाकिंग या आग लगने की घटनाएं सामने आने लगी , जिसकी वजह से साल 2020 में मशीन को बंद कर दिया गया । लिहाज़ा एक साल से दून अस्पताल व मरीज “एमआरआई” मशीन के इंतजार में है ।

जमीनी स्तर की सच्चाई जानने के बाद जहन में सवालिया निशान खड़े होते हैं कि सरकार लगातार अपनी उपलब्धियां तो गिनाती है लेकिन अपनी खामियों को कागजों में दबाने का काम करती है ।

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