अंतरराष्ट्रीय

ब्रिटिश शोधकर्ताओं का दावा – दिल्ली की हवा में 40 फीसदी घटा नाइट्रोजन

भारतीय और ब्रिटिश शोधकर्ताओं के एक साझा अध्ययन के मुताबिक, कोरोना महामारी के कारण भारत में पिछले साल लगाए गए पहले लॉकडाउन के कारण प्रमुख महानगरों समेत समूचे देश की वायु गुणवत्ता में जबर्दस्त सुधार हुआ था। इस शोध के नतीजे बताते हैं कि अकेले राजधानी दिल्ली की हवा में इस दौरान नाइट्रोजन की मात्रा में 40% तक की कमी आई। यही नहीं पाबंदियों के असर से धरती की सतह को तापमान में भी कमी देखी गई। एन्वयारनमेंटल रिसर्च शोध पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, इससे पता चलता है कि व्यापक पैमाने पर लागू नीतियों को लागू करने से पर्यावरण संबंधी लाभ हासिल किए जा सकते हैं।

पहले लॉकडाउन में पाबंदियों के नतीजे में औद्योगिक गतिविधियों और सड़क हवाई यातायात में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। इस अध्ययन में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलूरू और हैदराबाद के मार्च-मई 2020 में मिले आंकड़ों की महामारी से पहले के वर्षों के आंकड़ों से तुलना की गई। पता चला कि मुख्यतः वाहनों के ईंधन से निकलने वाली नाइट्रोजन की मात्रा में पूरे देश में 12 फीसदी और इन छह शहरों में कुल मिलाकर 31.5 फीसदी कमी दर्ज की गई।अकेले दिल्ली में यह गिरावट 40 फीसदी रही । झारखंड के केंद्रीय विश्वविद्यालय और ब्रिटेन के साउथम्पटन विश्वविद्यालय के इन शोधकर्ताओं का कहना है कि अकेले भारत में ही खराब वायु गुणवत्ता के कारण हर साल 16,000 अकाल मौतें होती हैं।

धरती का तापमान 2 डिग्री से. तक घटा

अनुसंधान में पाया कि 2015-16 की तुलना में पिछले साल इस अवधि में इन प्रमुख भारतीय शहरों में धरातल का तापमान भी नीचे आया । इस दौरान दिन में धरातल का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस कम हुआ तो रात में धरती 2 डिग्री सेल्सियस तक ठंडी रही। अकेले दिल्ली में यह गिरावट 40 फीसदी रही । झारखंड के केंद्रीय विश्वविद्यालय और ब्रिटेन के साउथम्पटन विश्वविद्यालय के इन शोधकर्ताओं का कहना है कि अकेले भारत में ही खराब वायु गुणवत्ता के कारण हर साल 16,000 अकाल मौतें होती हैं ।

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