संवाददाता(किच्छा): उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आ रही हैं। जिसमें ऊधमसिंह नगर में किच्छा निवासी आईटीबीपी जवान जमीर अहमद (54) चीन सीमा से सटे डोकलाम में शहीद हो गए। ख़बर है कि बीमारी के चलते शनिवार को उनका निधन हो गया।(आगे पढ़े……)
आईटीबीपी के अधिकारियों ने परिजनों को आज दोपहर बाद तक शव के किच्छा पहुंचने की जानकारी दी है। आज पूरे सैन्य सम्मान के साथ जवान के शव को सुपुर्दे खाक किया जाएगा।
घर वालों ने कहा नहीं हो पाती थी, ऊँची जगह में डयूटी होने के कारण ‘बात’
शहीद जमीर अहमद के पुत्र सनाउल मुस्तफा ने बताया कि उनके पिता 12 दिसंबर 2019 को ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे और तब से वे वहीं तैनात थे। उनसे फोन पर हर दूसरे-तीसरे दिन बात होती थी लेकिन, पिछले कुछ दिनों से उनकी ड्यूटी कहीं ऊंची पहाड़ियों पर लगी थी, जिसके कारण उनसे संपर्क कम हो गया था। बीते शनिवार को सुबह उन्हें आईटीबीपी के अधिकारी का फोन आया था, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनके पिता की अचानक तबीयत खराब हो गई थी, जिस पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया। इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
डोकलम में शहीद जमीर मूलरूप के पुत्र सनाउल के अनुसार पिता की चंडीगढ़, मानेसर, देहरादून, दिल्ली आदि स्थानों पर जहां-जहां नौकरी रही, परिवार उनके साथ ही रहा। बाद में किच्छा के वार्ड 15 में मकान बनाने के बाद परिवार वहीं रहने लगा। शहीद जमीर अहमद 2009 से 2012 तक राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) में रहे थे। सनाउल ने बताया कि पिता के एनएसजी में रहने के दौरान परिवार उनके साथ मानेसर में ही रहता था।
उनका पार्थिव शरीर आज सुबह हवाई जहाज से दिल्ली लाया जाएगा। वहां से सड़क मार्ग से घर पहुंचाया जाएगा। जमीर अहमद की शहादत की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। सूचना पर शहीद के कई रिश्तेदार उनके आवास पर पहुंच गए। शहीद की पत्नी नूरजहां, बेटी शहनाज और तरन्नुम के अलावा पुत्र सनाउल मुस्तफा का रो-रो कर बुरा हाल है।