देहरादून : लोगों का अक्सर देहरादून से दिल्ली जाना आना होता है। कई लोग नौकरी के लिए तो कई लोग काम के लिए देहरादून से दिल्ली आना जाना करते हैं जिसमे कई घंटे लग जाते हैं लेकिन अब ये दूरी कम होगी और समय भी बचेगा। जी हां बता दें कि देश की राजधानी दिल्ली से लेकर उत्तराखंड की राजधानी दून तक दिल्ली-देहरादून इकनोमिक कॉरिडोर ग्रीन एक्सप्रेस-वे को मंजूरी मिल गई है। जी हां बता दें कि भारतीय वन्यजीव बोर्ड ने इस परियोजना को हरी झंडी दे दी है। 180 किलोमीटर के इस एक्सप्रेस के बनने से देहरादून से दिल्ली मात्र ढाई घंटे में ही पहुंचा जा सकेगा। यह एक्सप्रेसवे दून से सहारनपुर, शामली, बागपत होते हुए दिल्ली से जुड़ेगा। जानकारी मिली है कि ये एक्सप्रेसवे करीब 180 किलोमीटर बनना है जिससे देहरादून से दिल्ली कम समय में आप पहुंच सकेंगे।
मात्र ढाई घंटे में पहुंच सकेंगे दिल्ली से देहरादून
बता दें कि इस एक्सप्रेस वे निर्माण के बाद अब दिल्ली से देहरादून की दूरी कम जाएगी। यात्री मात्र ढाई घंटे में दिल्ली से देहरादून पहुंच सकेंगे। इस इकोनामिक कॉरिडोर ग्रीन एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर तकरीबन 15 हजार करोड रुपए की लागत आने का अनुमान लगाया गया है। खास बात यह है इकोनामिक कॉरिडोर के निर्माण हो जाने के बाद महज ढाई घंटे के अंदर हम दिल्ली से देहरादून के बीच का सफर तय कर सकते हैं। वर्तमान में देहरादून से दिल्ली आने-जाने में कई घंटे लग जाते हैं। मगर आने वाले समय में यह यात्रा और अधिक सुखद हो जाएगी।
सीएम ने किया भारतीय वन्यजीव बोर्ड से सहमति के लिए कोशिश का आग्रह
देहरादून-दिल्ली एक्सप्रेसवे के लिए पिछले साल जनवरी में मंजूरी दी गई थी। उस समय एनएचएआई के चेयरमैन एसएस संधू ने कहा था कि यह एलिवेटिड रोड होगा। इसमें कुछ हिस्सा राजाजी पार्क और कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश के वन क्षेत्र का है। इसी को देखते हुए एनएचएआई ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भारतीय वन्यजीव बोर्ड से सहमति के लिए कोशिश का आग्रह किया था। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने जानकारी दी कि हाल ही में भारतीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में इस परियोजना को मंजूरी दे दी गई है। इस परियोजना के तहत देहरादून के निकट डाटकाली मंदिर के पास राज्य की सीमा पर सुरंग का निर्माण भी किया जाना है। अनुमान लगाया गया है कि इसका निर्माण कार्य 2023 तक पूरा हो जाएगा।
करीब 2.5 हजार साल के पेड़ों के कटने का अनुमान
आपको बता दें कि एक्सप्रेसवे निर्माण कार्य के लिए कई पेड़ों की बलि चढ़ेगी। इसमें साल का जंगल भी है और करीब 2.5 हजार साल के पेड़ों के कटने का अनुमान भी लगाया जा रहा है। वन मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि एक्सप्रेसवे से दिल्ली और देहरादून के बीच की सड़क मार्ग से आवागमन आसान होगा, यह प्रदेश के लिए वरदान साबित होगा। पर्यावरण के नुकसान को कम से कम करने का प्रयास किया जा रहा है और इस पर नजर भी रखी जाएगी।