देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून के जिला जज प्रशांत जोशी को किया सस्पेंड रुद्रप्रयाग कोर्ट से अटेच करने के आदेश जारी किए है।आरोप है की जिला जज ने प्रोटोकॉल के विपरीत जाकर प्राइवेट गाड़ी में यात्रा की रजिस्टार जनरल हाइकोर्ट की ओर से जारी आदेशो में कहा गया है कि जिला जज प्रशांत जोशी 21 व 22 दिसम्बर को मसूरी कोर्ट सरकारी वाहन से न जाकर के के सोईन नामक व्यक्ति की निजी कार से गये थे।सोईन के विरुद्ध कुछ दिनों पहले ही राजपुर थाने में गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। इनके द्वारा एफआईआर निरस्त करने के लिए हाई कोर्ट में रिट दाखिल की गई है।उक्त निजी कार मसूरी स्थित सरकारी कोर्ट परिसर के बाहर खड़ी दिखी है।हाई कोर्ट ने इसे सरकारी सेवा का उल्लंघन माना है माना जा रहा है कि एडीजी सीबीआई सुजाता सिंह के पास ही अब जिला जज का अतिरिक्त चार्ज होगा।मामले की शिकायत पर हाईकोर्ट ने प्रोटोकॉल और आचरण नियमावली का पालन न करने के चलते रजिस्ट्रार जनरल हीरा सिंह बोनाल ने जिला जज को सस्पेंड करने के आदेश
जारी कर दिए है। ये आदेश हाई कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है।
आरोपित कार स्वामी ने हाई कोर्ट में दायर की है याचिका
मंगलवार को उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठ के दिशा निर्देशानुसार रजिस्ट्रार जरनल द्वारा आदेश में लिखा गया है कि प्रशांत जोशी मसूरी में कैम्प कोर्ट में हिस्सा लेने अपने सरकारी वाहन संख्या यूके 07जीके 3333 की जगह निजी आडी यूके 07 एजे 9252 से गए। कार का स्वामी केवल कृष्ण सोइन है। केवल कृष्ण के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत राजपुर थाने में एफआइआर दर्ज है। आरोपित ने उस एफआईआर को निरस्त करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इस गाड़ी को जिला जज का बोर्ड लगाकर मसूरी में उच्च न्यायालय के गेस्ट हाउस के आगे खड़ा किया गया था। इस जगह पर कैम्प कोर्ट लगती है। आर्डर में कहा गया है कि जिला जज का यह कदम अनुशासनहीनता दर्शाता है। यह उत्तराखंड कर्मचारी आचरण नियमावली के रूल 3(1), 3(2)और 30 का उल्लंघन है। सस्पेंशन अवधि में जिला जज प्रशांत जोशी को आधी तनख्वाह दी जाएगी। यह धनराशि उन्हेंं अपनी बेगुनाही का लिखित प्रमाणपत्र देने पर ही मिलेगी। रुद्रप्रयाग में अटैचमेंट के दौरान भी उन्हेंं उच्च न्यायालय की अनुमति के बगैर स्टेशन छोडऩे की अनुमति नहीं होगी।
हाई कोर्ट ने अपनाए उच्च मानदंड
हाईकोर्ट ने उच्च मानदंड स्थापित करते हुए भ्रष्टाचार व अन्य मामलों की शिकायत प्रथमदृष्टया पुष्ट होने पर न्यायिक अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की है। जुलाई 2019 में भ्रष्टाचार के मामले में उधमसिंह नगर जिले की सिविल जज अनुराधा को बर्खास्त किया गया था। अक्टूबर 2020 में नाबालिग के शोषण के मामले में हरिद्वार की न्यायिक अधिकारी दीपाली शर्मा को बर्खास्त कर दिया था। जबकि सरकारी गाड़ी में तोडफ़ोड़ करने पर नवंबर 2020 में उत्तरकाशी के सीजेएम नीरज कुमार को सस्पेंड किया गया। इन सबमें कार्रवाई का आधार आचरण व सेवा नियमावली को बनाया है। इसके अलावा राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में हाईकोर्ट ने तीन न्यायिक अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त किया है। एक न्यायिक अधिकारी के बर्खास्तगी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है।