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योगी सरकार का बड़ा फैसला , रद्द की कांवड़ यात्रा

Regarding the Kanwar Yatra, the UP government, after interacting with the Kanwar unions, has decided that this year also there will be no Kanwar Yatra due to the Corona epidemic. Let us inform that the Chief Minister had directed Additional Chief Secretary Home Avnish Awasthi and Director General of Police Mukul Goyal to hold talks with other states in view of the Kanwar Yatra. It may be noted that last year the Kanwar Sanghas had themselves postponed the yatra after talks with the government. This time also the government has taken this decision only with the consent of the unions. However, the UP government wanted the Kanwar Yatra not to be banned this time. Rather, the journey should be taken out under the Kovid protocol. But the Uttarakhand government has banned the entry of Kanwariyas coming from outside in the state. At the same time, the UP government had given permission for the Kanwar Yatra, on which the Supreme Court, taking suo motu cognizance, issued a notice to the Uttar Pradesh government and asked it to file a reply regarding the Kanwar Yatra by July 19. The court had said that One thing is completely clear that in view of Kovid, we cannot allow the Uttar Pradesh government to organize the Kanwar Yatra with 100 percent attendance of people. We are all citizens of India. This suo motu case has been taken because Article 21 is applicable to all of us. This is for the safety of all of us. The bench, in its order, said whether it can be reconsidered to organize the Kanwar Yatra directly, to which senior advocate CS Vaidyanathan, appearing for the Uttar Pradesh government, had given an affirmative reply and submitted an additional affidavit by July 19. had asked for time.

कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार ने कांवड़ संघों से संवाद कर फैसला लिया है कि इस साल भी कोरोना महामारी के कारण कांवड़ यात्रा नहीं होगी। बता दें कि मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को कांवड़ यात्रा के मद्देनजर दूसरे राज्यों से बातचीत करने के निर्देश दिए थे।

गौर हो कि पिछले साल कांवड़ संघों ने सरकार के साथ बातचीत के बाद खुद ही यात्रा स्थगित कर दी थी। इस बार भी सरकार ने संघों की सहमति से ही यह फैसला लिया है। हालांकि, यूपी सरकार चाहती थी कि इस बार कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध न लगे। बल्कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत यात्रा निकाली जाए। मगर उत्तराखंड सरकार ने बाहर से आने वाले कांवड़ियों के राज्य में प्रवेश पर रोक लगा दी है।

वहीं यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा को लेकर पहले अनुमति दे दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर 19 जुलाई तक कांवड़ यात्रा को लेकर जवाब दाखिल करने को कहा था।कोर्ट ने कहा था कि एक बात पूरी तरह से साफ है कि हम कोविड के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार को कांवड़ यात्रा में लोगों की 100 फीसदी उपस्थिति के साथ आयोजित करने की इजाजत नहीं दे सकते। हम सभी भारत के नागरिक हैं। यह स्वत: संज्ञान मामला इसलिए लिया गया है क्योंकि अनुच्छेद 21 हम सभी पर लागू होता है। यह हम सभी की सुरक्षा के लिए है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि क्या प्रत्यक्ष रूप से कांवड़ यात्रा आयोजित करने पर पुनर्विचार किया जा सकता है, इस पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने सकारात्मक उत्तर दिया था और 19 जुलाई तक अतिरिक्त हलफनामा जमा करने के लिए समय मांगा था।

 

 

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