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बाबरी केस: 28 साल बाद होगा बाबरी केस का फैसला, बढ़ी सुरक्षा

संवाददाता(यूपी): अयोध्या में 28 साल पहले विवाद मस्जिद विध्वंस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाना शुरू कर दिया है. बुधवार को लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट फैसला सुना रहा है. कोर्ट ने कहा है कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. इस तरह इस मामले के 32 आरोपी बरी हो गए हैं. उनके खिलाफ पेश किए गए सबूतों को कोर्ट ने नहीं माना.
कोर्ट के जज का यह फैसला सभी आरोपियों को राहत देने वाली है. कोर्ट ने माना है कि यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. इसका मतलब है कि कोर्ट ने माना है कि इसके लिए कोई साजिश नहीं रची गई थी. मामले के आरोपी विनय कटियार, महंत धर्मदास, राम विलास वेदांती, लल्लू सिंह, चंपत राय और पवन पांडे फैसला सुनाए जाने से पहले लखनऊ पहुंच चुके हैं. एलके आडवाली, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती नहीं पहुंचीं. उमा भारती कोरोना से संक्रमित हैं. इसकी जानकारी वकील के माध्यम से दी गई. ज्यादा उम्र के चलते आडवाणी और जोशी को कोर्ट में पहुंचने से राहत मिली. कोर्ट में करीब 25 आरोपी कोर्ट पहुंचे हैं.

करीब 28 साल पहले 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी. शुरुआती 7 दिन तक इस मामले की जांच सीबीसीआईडी ने की थी. इस मामले में आरोपियों पर साजिश रचने और भीड़ को उकसाने के आरोप लगाए गए. इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार समेत 49 लोग आरोपी बनाए गए थे. 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है.

हाई प्रोफाइल मामले को ध्यान में रख अयोध्या और लखनऊ में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. सीबीआई की विशेष अदालत ने मामले के सभी आरोपियों को फैसले के दिन कोर्ट में मौजूद रहने को कहा था. फैसले से पहले अयोध्या की सुरक्षा कड़ी कर दी गई. लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत के बाहर 2000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. इसके अलावा प्रदेश के 25 संवेदनशील जिलों में सुरक्षा व्‍यवस्‍था मजबूत बनाई गई है.

सीबीआई आर आरोपियों के वकीलों ने करीब आठ सौ पन्ने की लिखित बहस दाखिल की है. इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने 351 गवाह और करीब 600 से अधिक दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए. लखनऊ के जिला जज सुरेंद्र कुमार यादव 30 सितंबर, 2019 को पद से सेवानिवृत्त हुए थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें फैसला सुनाने तक सेवा विस्तार दिया था. वह इस मामले में वर्ष 2015 से सुनवाई कर रहे हैं.

6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के करीब कार सेवा का आयोजन किया गया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किए थे. तब कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. लेकिन, कार सेवा के दौरान वहां जमा भीड़ बेकाबू हो गई. उसने बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया. कुछ ही घंटों में मस्जिद ढहा दी गई. कार सेवा में हिस्सा लेने के लिए देशभर से लोग अयोध्या पहुंचे थे. इनमें कई संगठनों के लोग थे.

ये है 32 आरोपितों की श्रेणी

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