ऊखीमठ। द्वादस द्वादश ज्योर्तिलिंगों में अग्रणी व पर्वतराज हिमालय में बसे भगवान केदारनाथ के कपाट सोमवार को 8,30 बजे प्रातकाल शुभ लगन पर पौराणिक परमपराओ व रीति-रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जायेंगे। रविवार को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली भण्डार गृह से मुख्य मन्दिर के सभा मण्डप में विराजमान हो गयी।
भगवान केदारनाथ के कपाट बन्द होने के बाद पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ के लिए रवाना होगी तथा प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी। 18 नवम्बर को शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ में विराजमान होगी। 19 नवम्बर से भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा ऊखीमठ में विधिवत शुरू होगी। देव स्थानम् बोर्ड के अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि सोमवार को ब्रह्म बेला पर वेदपाठियो द्वारा भगवान केदारनाथ के स्वयभू लिंग की विशेष पूजाएअर्चना कर जलाभिषेक कर आरती उतारी जायेगी। भगवान केदारनाथ के स्वयभू लिंग को अनेक प्रकार की पूजा सामाग्रियो से समाधि दी जायेगी तथा ठीक 8,30 बजे भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जायेंगे।
उन्होंने बताया कि कपाट बन्द होने के बाद भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर लिनचोली, भीमबली, जंगलचटटी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग, सीतापुर यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी। 19 नवम्बर को रामपुर से रवाना होकर अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी व 19 नवम्बर को शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी।