Site icon Uttarakhand News, News in Hindi

अफगान कमांडो लेफ्टिनेंट अब्दुल हामिद बराकजई का बड़ा बयान

afghan-commando-lt-abdul-hamid-barakzais-big-statement

दिल्ली: अफगानिस्तान छोड़ने की अमेरिका की घोषणा के बाद तालिबान ने इस देश पर अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी। वह एक-एक कर जिलों एवं प्रांतीय राजधानियों को जीतता गया। इस संघर्ष में अफगान सुरक्षाकर्मी जिस तरह से मोर्चे से पीछे हटे या उनकी हार हुई, उसे देखकर यह कहा जाने लगा कि इस देश पर तालिबान का कब्जा जल्द हो जाएगा। अफगानिस्तान में अफगान बलों ने जिस तरह से घुटने टेके, वह अचानक नहीं हुआ बल्कि यह ‘धीरे-धीरे हुआ और यह एक पीड़ादायक असफलता थी।अफगान बलों की हार का सिलसिला राजधानी काबुल पर तालिबान का कब्जा होने से महीनों पहले ही शुरू हो गया था।तालिबान ने अपनी आक्रामक कार्रवाई गत वसंत महीने में ही शुरू कर दी थी और जैसे ही अमेरिकी सैनिकों की वापसी में तेजी आनी शुरू हुई, उस समय अफगानिस्तान के स्पेशल बलों को बड़े हिस्से को रक्षा मंत्रालय की कमान के अधीन लाया गया।

6 महीने से बिना वेतन लड़ रहे थे अफगान बल’

रिपोर्ट के मुताबिक अग्रिम मोर्चों पर तालिबान लड़ाकों से लड़ने वाले अफगान पुलिस कर्मियों को पिछले छह महीने से वेतन नहीं मिला था। यह बात बड़े स्तर पर कही जाती है कि जवानों को वेतन न मिलने से उनके मनोबल पर बुरा प्रभाव पड़ा। सैनिकों एवं जवानों का कमजोर हौसला उनकी हार का एक बड़ा कारण बना। जवानों को वेतन न मिलने का मुद्दा तो था ही। इसके अलावा अफगान बलों में जो सबसे ज्यादा प्रशिक्षित जवान थे उन्हें बचाव अभियान में लगा दिया गया। संघर्ष के दौरान उन्हें अमेरिकी वायु सेना की मदद नहीं मिली। रिपोर्ट में अफगानिस्तान के विशेष बल के एक कप्तान के हवाले से कहा गया है कि ‘हम जानते थे कि तालिबान को कैसे हराना है लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने हमारी बातें नहीं सुनी।’ अफगान कमांडो लेफ्टिनेंट अब्दुल हामिद बराकजई का कहना है कि ‘यह वैसा नहीं था जैसा करने के लिए हमें प्रशिक्षित किया गया।’ ‘फॉक्स’ न्यूज से बातचीत में जनरल मार्क मिले ने कहा कि ‘अफगान बलों का टूट जाना कुछ ज्यादा तेजी के साथ हुआ और यह बहुत ही उम्मीदों के अनुरूप नहीं था। अफगान बलों के धाराशायी होने के बाद वहां की सरकार भी गिर गई।

रिपोर्ट संध्या कौशल 

Exit mobile version