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जिला अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था, इलाज के लिए मरीजों को करने पड़ते हैं ‘लेवल पार’

Dehradun - Aam Aadmi Party marched to the Chief Minister's residence to demand that at least 300 units of electricity be given free of cost in Uttarakhand. Hundreds of workers gathered at Dilaram Chowk under the leadership of senior leaders including State President SS Kler, Colonel Ajay Kothiyal, Ravindra Jugran. From where the workers marched to the Chief Minister's residence in the form of a rally. The police already present stopped them by putting up barricades at Hathibarkala where there was a lot of scuffle between the activists and the police. After this the workers sat on the road and raised slogans against the BJP government. Aam Aadmi Party's senior leader Ravindra Jugran and state spokesperson Naveen Pirshali said that in the last four and a half years, BJP has done only loot and corruption in this state and now it has become clear after the statement of Chief Minister Pushkar Singh Dhami on the issue of free electricity. That the government is cheating the people of the state. More about this source textSource text required for additional translation information Send feedback Side panels

देहरादून – गांधी शताब्दी, कोरोनेशन और दून अस्पताल को मिलाकर देहरादून में 3 जिला अस्पताल है लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि 3 जिला अस्पताल होने के बावजूद देहरादून के मरीजों को इलाज के लिए काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है ।

जी हां यहां के अस्पतालों में अवस्थाओं का ताता लगा है आलम यह है कि जिला अस्पताल में घायल मरीज को उठाकर ले जाने के लिए उसके परिजन मजबूर हैं । तो वही प्लास्टर के लिए अस्पताल में पट्टी तक बाहर से लानी पड़ रही है । हद तो तब हो जाती है जब गंभीर मरीजों को आईसीयूं और सीटी स्कैन की सुविधा नहीं होने पर दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है।

जिला अस्पतालों में मरीजों को इलाज कराने के लिए मानो “लेवल्स” पार करने पड़ते हैं । जब भी कोई मरीज इन जिला अस्पतालों में इलाज कराने पहुंचता है तो सबसे पहले तो उसे लाइन में लगकर घंटों इंतजार करना पड़ता है । उसके बाद भी अगर मरीज टिक जाता है तो अवस्थाओं का ताता उसे और भी ज्यादा परेशान कर देता है । वहीं गंभीर मरीजों को लिफ्ट की सुविधा नहीं मिलती है जिसकी वजह से उसे गंभीर हालत में भी सीढ़ियां चढ़नी – उतरनी पढ़ती हैं वहीं जब बात आईसीयू या सिटी स्कैन की आती है तो अव्यवस्थाओं के चलते उसे दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है ।

आपको बता दें राजधानी देहरादून के जिला अस्पतालों का हाल काफी बुरा है वह अलग बात है कि स्वास्थ्य मंत्री लगातार अस्पतालों में जाकर औचक निरीक्षण करते हैं लेकिन यह निरीक्षण उस हद तक ही सिमट कर रह जाता है जब तक वे वहां मौजूद रहते हैं उसके बाद व्यवस्थाएं वैसी ही हो जाती है जैसी चली आ रही हैं।

प्रदेश के लोग सरकार से यह आस लगाए बैठे हैं कि जल्द ही स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुधरेंगी लेकिन सरकार है कि स्वास्थ्य व्यवस्थाएं को दरकिनार कर मुख्यमंत्री बदलने में लगी है । अब मुख्यमंत्री की कुर्सी पुष्कर सिंह धामी के हाथों में है वही अब उनसे यह उम्मीद लगाई जा रही है कि वह स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर कोई अहम निर्णय लेंगे अब देखने वाली बात यह होगी कि मरीजों को इन जिला अस्पतालों में कब और कैसे सही इलाज मिल पाएगा ।

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