ज्योती यादव,डोईवाला। स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय परिसर में सोमवार को हिमालय दिवस के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, कार्यक्रम में हिमालय दिवस की परिकल्पना व उद्देश्यों पर प्रकाश डालते सुप्रसिद्ध शिक्षाविद और वैज्ञानिक डा० राजेश नैथानी ने कहा कि हिमालय से परिस्थितियाँ मेदानी क्षेत्रों के अलग है। बार- बार इस बात पर ज़ोर दिया जाता रहा है कि हिमालय के लिए हिमालय की पारिस्थितिकी के अनुकूल योजनाएं बनायी जाये ।
ग्रीन एनर्जी , हिम नदों का सरंक्षण संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति , क्षमता विकास के पहलू हिमालय दिवस से जुड़े हैं
इम अवसर पर कुलपति काशीनाथ जैना ने कहा कि हिमालय एक जटिल परिस्थितियों वाला क्षेत्र है।
हमें जमीन पर काम करने की जरूरत है।
पूर्व भारतीय बन सेवा अधिकारी विनोद उनियाल ने अपने बचपन को हिमालम से जोड़ते कहा कि उनके लिए हिमालय का मतलब हिम आच्छादित् पर्वत थे लेकिन बाद में उन्होंने जैव विविधता के महत्व को समझा।
देश व दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । हिमालय एक जीवित व्यवस्था है। इसके लिए संरक्षण संवर्धन पर कार्य करने की जरूरत है। पूर्व कुलपति व मुख्क वक्ता डा० एस० पी० सिंह पूर्व कुलपति हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालक ने हिमालय को तीसरा ध्रुव बताते हुए इसके महत्व पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा हिमनदों का गलना चिन्ता की बात है, जलवायु परिवर्तन न वर्षा के क्रम में बदलाव हानिकारक है
कार्बन न्याय की बात करते उन्होंने कहा कि हिमालम से जुड़े ज़मीनी लोगो के कल्याण की चिंता होने धन्यवाद करते कुलाधिपति प्री डा. प्रदीप कुमार भारद्वाज ने कहा कि हिमालय को प्रेम करने वाले डा० रमेश पाखरियाल निशंक जी वर्चुअल माध्यम से जुड़ के सभी को ने स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय बनाया है जो हिमालय के प्रति उनके समर्पण का द्योतक है कार्यक्रम का संचालन डॉ रुपाली बरमोला ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी विभागाध्यक्ष एवं
प्राध्यापक उपस्थित रहे। वर्चुअल माध्यम से जुड़े देश के पूर्व शिक्षा मंत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने सबको हिमालय दिवस की शुभकामनाएँ दी।