कोविड-19 मामलों में आ रही कमी को सरकार हल्के में न ले – दिल्ली हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 मामलों में आ रही कमी को केंद्र व दिल्ली सरकार हल्के में न ले। अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस बात की आशंका है कि वायरस फिर से अपना बदसूरत सिर उठाएगा और लोगों पर बुरी तरह हमला कर सकता है। ऐसे में सरकार को लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) का बफर स्टॉक बनाने की अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटना चाहिए। अदालत ने केंद्र सरकार को ऑक्सीजन के बफर स्टॉक पर अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 24 मई तय कर की है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह सुनिश्चित करना केंद्र और दिल्ली सरकार का कर्तव्य है कि वे हालात से निपटने के लिए फिर से तैयार रहें। खंडपीठ ने कहा आपने (सरकार) उचित कदम नहीं उठाए हैं, तो हम आएंगे और फिर से आपका पीछा करेंगे। दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि विभिन्न स्थानों पर एलएमओ के 419 मीट्रिक टन (एमटी) का बफर स्टॉक बनाया है। वे अगले 10 दिनों में और स्टॉक बनाने की व्यवस्था कर रहे हैं।
अदालत ने पाया कि केंद्र ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा नहीं किया है कि उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अपने दायित्व को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। अदालत ने कहा यह एक अस्थाई चरण है, हम जानते हैं कि यह वापस आकर हमें मार सकता है। केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को याद दिला रहे हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने बफर स्टॉक बनाने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से केंद्र और दिल्ली सरकार पर डाली है। अदालत ने कहा कि दोनों सरकारों को आम लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जिम्मेदारी से काम करना होगा। यह सुनिश्चित करें कि वायरस के पुन: सिर उठाने पर वर्तमान जैसे भयावह हालत न हो। केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि वे इस मुद्दे पर गंभीर हैं और मामले को हल्केपन से नहीं लिया जा रहा।