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संवाददाता(देहरादून): कोरोना के कारण हुए लाॅकडाउन में हजारों लोगों की नौकरियां चली गईं। लाखों लोगों को वेतन नहीं मिला। बावजूद, सरकार दावा कर रही थी कि लाॅकडाउन में किसी को परेशान नहीं होने दिया गया। कंपनियों को अनिवार्य रूप से वेतन भुगतान के लिए भी कहा गया था। इन सभी दावों की की पोल सरकार ने खुद खोल दी।
23 सितंबर को हुए विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में सरकार ने जो आंकड़े दिए। उनसे साफ हो गया कि कंपनियों और फैक्ट्रियों में काम करने वाले कामगारों के साथ क्या हुआ। उत्तराखंड की बात करें तो राज्य में लॉकडाउन की अवधि में छह लाख 37 हजार 668 श्रमिकों को फैक्ट्री संचालकों ने वेतन का भुगतान ही नहीं किया।
श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के अनुसार राज्य में कुल 3, 432 औद्योगिक इकाइयां पंजीकृत हैं। लॉकडाउन के दौरान इनमें बंद 271 इकाइयों के वेतन देने की सूचना है। उनके विधानसभा में दिए जवाब के अनुसार राज्य में 43,612 कामगारों को इस अवधि में वेतन का भुगतान किया गया। प्रदेश में पंजीकृत 6,81,280 कामगारों में से 6,37,668 श्रमिकों को वेतन नहीं दिया गया। मतलब साफ है कि 3,161 फैक्ट्रियां ऐसे हैं, जिन्होंने वेतन नहीं दिया।