जानिए- आखिर राष्ट्रपति ट्रंप के किस फैसले से बौखलाया है चीन, ड्रैगन को दिया बड़का झटका
बीजिंग (रॉयटर्स)। अमेरिका और चीन के बीच लगातार विवादों की खाई बढ़ती जा रही है। एक बार फिर इसकी वजह बो बिल बना है जिस पर राष्ट्रपति ट्रंप ने साइन कर अंतिम मंजूरी प्रदान की है। इसकी वजह से अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज कंपनियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इसकी वजह चीन बुरी तरह से बौखलाया है। आपको याद दिला दें कि राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में चीन और अमेरिका के संबंधों में लगातार गिरावट आई है। बीते एक वर्ष में राष्ट्रपति ट्रंप के कई फैसले चीन के खिलाफ गए हैं। इस वजह से भी चीन बौखलाया हुआ है।
जहां तक विवाद का ताजा मामला है तो आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक ऐसे बिल पर साइन किए हैं जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज कोई भी चीन कंपनी यदि अमेरिकी ऑडिटिंग स्टेंडर्ड पर खरी नहीं उतरी तो उसको अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज से बाहर कर दिया जाएगा। इस आदेश के बाद बौखलाए चीन ने इसे एकतरफा कार्रवाई बताया है। चीन का कहना है कि वो ऐसे किसी भी बिल का कड़ा विरोध करता है। चीन की तरफ से ये भी कहा गया है कि ये आदेश चीन की कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण रवैये के तहत लाया गया है। इसका मकसद चीन को नुकसान पहुंचाना है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक प्रेसवार्ता के दौरान इसको राजनीतिक द्वेष करार दिया है। उनका कहना है कि ये पूरी तरह से अनुचित और राजनीति से प्रेरित फैसला है। इसका मकसद अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज चीन की कंपनियों को आर्थिक क्षति पहुंचाना है। वांग ने कहा कि अमेरिका के इस कदम से बाजार की बुनियादी अर्थव्यवस्था के नियमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। साथ ही ये चीनी कंपनियों की लिस्टिंग में भी गंभीर बाधा डालने वाला साबित होगा। गौरतलब है कि शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बिल पर हस्ताक्षर किए थे। इसकी जानकारी देते हुए व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने सत्ता हस्तांतरण से पहले ने चीन को एक और बड़ा झटका दिया है।
आपको बता दें कि ट्रंप के कार्यकाल में कई ऐसे मुद्दे और फैसले रहे हैं जिनकी वजह से चीन को जबरदस्त झटका लगा है। कुछ ही समय पहले अमेरिका ने उसकी कम्यूनिस्ट पार्टी के बड़े नेताओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे पहले सरकार के तीन बड़े अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था। अमेरिका में मौजूद चीनी कांउसलेट के अधिकारी को देश छोड़ने के आदेश के अलावा चीनी छात्रों को भी ऐसा ही आदेश दिया गया था। इसके अलावा अमेरिका ने कई चीन की कंपनियों और चीन के एप को अपने यहां पर प्रतिबंधित कर दिया था।