बागेश्वर। कुमाऊं की काशी में मकर संक्रांति पर उत्तरायणी मेले का आयोजन हर बार होता हैं लेकिन इस बार कोविड-19 के कारण आयोजित नहीं हो पाएगा। कोरोना संक्रमण के कारण मेले की तैयारियों को लेकर अभी तक एक बैठक भी नहीं हो सकी है। यह मेला 14 जनवरी से शुरू होता है और दस दिनों तक चलता है। मेले में 7 करोड़ रुपये का व्यापार होता है। 55 लाख रुपये की धनराशि पालिका निर्माण और अन्य कार्यो में व्यय करती है। मेले से जहां व्यापारियों को लाभ मिलता है वहीं स्थानीय लोगों के लिए भी सालभर में कमाई का साधन है।
उत्तरायणी मेला कुमाऊं का सुप्रसिद्ध मेला है। कुमाऊं-गढ़वाल के अलावा मेले में अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में व्यापारी, कलाकार आदि लोग यहां आते हैं। इस साल कोरोना संक्रमण के कारण मेले की तैयारियां अभी शुरू नहीं हो सकी हैं। दिसंबर तक पालिका निर्माण कार्यो को अमलीजामा पहना देती थी। गत वर्षो के उत्तरायणी मेले के अनुसार पालिका विभिन्न निर्माण कार्यो में 55 लाख रुपये से अधिक धनराशि का व्यय करती थी, जिससे स्थानीय ठेकेदार, मजदूरों का इसका सीधा लाभ मिलता था। इसके अलावा बाहर से आने वाले व्यापारी लगभग सात करोड़ रुपये का यहां व्यापार करते थे।
त्रिमाघी करने तो आएंगे आस्थावानः-उत्तरायणी मेले को लेकर अभी किसी भी प्रकार की तैयारियां नहीं हैं, लेकिन सरयू-गोमती और विलुत्प सरस्वती के संगम पर तीन दिनों तक स्नान करने वाले श्रद्धालु तो आएंगे। उनके लिए भी अभी तक किसी भी प्रकार की व्यवस्थाएं नजर नहीं आ रही है।
नहीं होगा वाक युद्धः-उत्तरायणी मेले के दौरान मकर संक्रांति के दूसरे दिन राजनीति पंडाल सरयू बगड़ में लगाने की परंपरा है। यहां से भाजपा, कांग्रेस, आप, उक्रांद समेत अन्य दल अपनी बात जनता तक पहुंचाते हैं। जिससे चुनाव की वैतरणी पार करने का लक्ष्य भी यहां से साधा जाता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण यह कार्यक्रम भी स्थगित रह सकता है।
पालिकाध्यक्ष सुरेश खेतवाल बागेश्वार ने बताया कि उत्तरायणी मेले को लेकर अभी तक आधी से अधिक तैयारी पूरी हो जाती थीं। कोरोना संक्रमण की रोकथाम को गाइडलाइन भी अभी तक स्पष्ट नहीं है। मेला समिति का गठन भी नहीं हुआ है। हालांकि पांच दिसंबर को बैठक आयोजित की गई है। जिला प्रशासन और पालिका उस बैठक में मेले के आयोजन पर मंथन करेगी।